‘Kya Baat Hai’ Poetry by Dr. Aman Chugh | The Social House Poetry

This beautiful poetry 'Kya Baat Hai' has written and performed by Dr. Aman Chuhg on The Social House's Plateform.

Kya Baat Hai

यूं तो मोहब्बत में मायूसी अच्छी नहीं लगती
मगर मायूसी ना हो तो मोहब्बत सच्ची नहीं लगती
जो आंखों से गिरते रहे रात भर 
वो पन्नों पर सजते रहे रात भर 
वादा किया फिर वो आए नहीं 
हम तारे ही गिनते रहे रात भर 
रह अधूरी गई जो ना पूरी हुई 
वही तस्वीर तकते रहे रात भर 
और दर्द बढ़ता रहा पहर-दर-पहर 
बेखबर हम लिखते रहे रात भर
जो आंखों से गिरते रहे रात भर 
वो पन्नों पर सजते रहे रात भर 
प्यार आंखों में आए तो क्या बात है
जिक्र बातों में आए तो क्या बात है
हाथ हाथों में ले कोई तुम्हारा अगर 
और चुपके से दबाएं तो क्या बात है
देख कर कोई शर्माएं तो क्या बात है 
और बेवजह मुस्काए तो क्या बात है
दूरी हो जिनसे मिलना मुमकिन ना हो 
वो जिंदगी में आए तो क्या बात है
हक कोई तुम पर जताए तो क्या बात है
तुम्हें अपना बताएं तो क्या बात है
भूलकर एक तरफ इस जमाने का डर 
तुमसे मिलने को आए तो क्या बात है
जानकर कोई सताए तो क्या बात है 
फिर खुद ही मनाएं तो क्या बात है
एक पल हंस कर कहे हां मुझे प्यार है
तुझे पल्म कर जाए तो क्या बात है
आंसुओं में दर्द बह जाए तो क्या बात है
खुशी चेहरे पर आए तो क्या बात है
सब ने पूछा जिसे तुम छुपाते रहे
वो नाम ओंठो पर आए तो क्या बात है।
                               – Dr. Aman Chugh