Jaise Tum Pyaar Karte Ho In Hindi – Priya Malik | UnErase Poetry

This beautiful Poem 'Jaise Tum Pyaar Karte Ho' has written and performed by Priya Malik. This poetry video has published under the label of "UnEarse poetry".






About this poem:
This beautiful Poem ‘Jaise Tum Pyaar Karte Ho’ has written and performed by Priya Malik. This poetry video has published under the label of “UnEarse poetry”.

Jaise Tum Pyaar Karte Ho

चाहत जरूरी है, मोहब्बत जरूरी है, 
इबादत जरूरी है, ज़रूरत जरूरी हैं 
लेकिन जरूरी नहीं कि तुम्हारे हर मेसेज का तुरंत जवाब आए
जरूरी नहीं कि तुम्हें विडियो कॉल करने के लिए वो 4G कनेक्शन लगवाए
ज़रूरी नहीं कि तुम्हारी हर फोटो पर उसका लाइक और कॉमेंट भी आए
ज़रूरी नहीं कि गुड मॉर्निंग के बाद रात को गुड नाईट का मैसेज भी आए 
क्योकि ज़रूरी नहीं कि जैसे तुम प्यार करते हो, 
तुम्हारा प्रेमी ठीक वैसे ही प्यार जताए।

ज़रूरी नहीं कि सागर हमेशा नदी के इन्तजार में हो
ज़रूरी नहीं कि परवाना हमेशा लौ के प्यार में हो
शायद सागर जानता हो कि अंत में नदी उसमें ही समाएगी
शायद परवाना समझता हो कि ये तो लौ है, बुझ ही जाएगी जिससे मिलना ही है उसके इन्तजार में रातें क्यों बिताए जिसे बुझना ही है उसे बार-बार, बार-बार क्यों जलाएं
प्यार और इश्क़ का फर्क समझने में हम मोहब्बत न भूल जाए
तो बस इतना याद रखिए कि जरूरी नहीं कि जैसे तुम प्यार करते हो 
तुम्हारा प्रेमी ठीक वैसे ही प्यार जताए।

लेकिन फर्ज़ करो, फर्ज़ करो की वो वॉइस कॉल करे सिर्फ तुम्हारी सांसों की आवाज सुनने के लिए 
फर्ज़ करो कि वो विडियो कॉल करे सिर्फ तुम्हारे माथे की शिकन हटाने के लिए 
फर्ज़ करो कि उसकी फोन स्क्रीन पर जब जब तुम्हारा नाम आता हो 
वो सजदे में झुक कर तुम्हारे होने का शुक्र मनाता हो
फर्ज़ करो कि तुम्हारे हर लफ्ज़ को वो अपने जहन में बिठाए 
फर्ज़ करो कि तुम्हें देखकर उसे गुलजार की कोई नज़्म याद आए
फर्ज़ करो कि उस नज़्म को वो तुम्हें 116 चांद की रातें सुनाएं 
फर्ज़ करो कि वो अमृता की तरह तुमसे फिर मिलने की आस लगाए 
और तुम में सिर्फ साहिर की अस्थायी नहीं इमरोज़ का ठहराव भी पाए
फर्ज करो, सोचो, सपने देखो, उम्मीद भी रखो 
लेकिन फिर भी याद रखो कि ज़रूरी नहीं कि जैसे तुम प्यार करते हो 
तुम्हारा प्रेमी ठीक वैसे ही प्यार जताए।

अपने प्रेमी को उसकी खुद की नज़्म लिखने दो 
उसको अपनी कहानी अपनी जुबानी व्यक्त करने दो
प्यार की भाषा को पूरी तरह कभी जानना नहीं पड़ता 
और जिससे प्रेम मिलना चाहिए उससे कभी माँगना नहीं पड़ता
ज़रूरी बस इतना है कि जिससे तुम प्यार करते हो 
वो अपने तरीके से, अपनी तरह से 
लेकिन पूरी चाह से प्यार तो जताए
और सिर्फ़ जरूरत नहीं, चाहत बन जाए,
मोहब्बत बन जाए,
इबादत बन जाए।

Written by:
Priya Malik



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