Patang By Nidhi Narwal | FNP Media | Poetry

A very young, Famous and YouTube poetess Nidhi Narwal come back again with a beautiful poerty which is titled 'Patang'.

Patang Poetry :- A very young, Famous and YouTube poetess Nidhi Narwal come back again with a beautiful poerty which is titled ‘Patang’. Nidhi Narwal has performed and written this beautiful poetry. This beautiful poetry ‘Patang’ has released under the label of FNG Media. 

Patang By Nidhi Narwal

हवा के झोंके जब जुल्फों को उड़ाकर जाते हैं 
पलकों को सहला कर जाते हैं 
तब लगता है कि अब जाकर
इस खुली हवा में सांस ली है खुल कर
इसी हवा के संग साथ बहती सी लगती है 
जिंदगी हंसकर मुझसे कुछ कहती सी लगती है 
चलो चलें कहकर हाथ बढ़ाती है हाथ थमाने को 
पास आने को पुकारती है मुझे साथ जाने को 
और मैं आँखों में ख्वाबों के बने पंख लिए 
जिन्दगी का हाथ कस के पकड़ती हूं आगे बढ़ती हूं
इतने में ही पीछे से एक अदृश्य डोर जो मुझसे बंधी हुई है जिससे मैं बंधी हुई हूं 
वो मुझे झटके से अपनी तरफ खींच लेती है बार बार
ऐसा लगता है कि मैं कोई रंग बिरंगे पतंग हूं 
जो मस्त मल्लिका के भाती अदा से उड़ रही हैं, नाजनीन हवा से लड़ रही है 
मगर मेरी एक बेरंग डोर है जो किसी के हाथ में है
या यूं कहूं कि ऐसा लगता है कि मेरी परवाज एक रील में लपेट रखी है और कोई लगातार
मुझे ढील दे रहा है बेबाक होकर जिन्दगी से मिलाने को
 और दूसरे ही पल झटके से डोर को वापस खींच लेता है मुझे मेरी हदें याद दिलाने को
और जितनी बार भी ये डोर तंग होती है 
मुझे ये महसूस होता है कि मैं उड़ नहीं रही
बल्कि मुझे कोई अपने मुताबिक उड़ा रहा है 
और ये हवाएं उसका बखूबी साथ निभा रही हैं 
जो उसके हक में चलती जा रही हैं वो भी मेरी नाक के बिल्कुल नीचे से
ऐसा लगता है कि मुझे उड़ने के लिए बनाया गया
बेशक मुझे उड़ने के लिए बनाया गया बढ़िया से तैयार किया सजाया गया
मगर मेरे पंख किसी और के हाथ में थमा दिए और बनाने वाले ने महज तंज करने को मेरी तकदीर में उड़ान लिख दिए
हर शख्स को अपने हाथ में केवल मेरी डोर चाहिए
पर कितने लोगों तो शायद बेसब्री से इस रंग बिरंगी पतंग के कट जाने की राह तकते होंगे ताकि एक कटी हुई पतंग को किसी गली मोहल्ले में वो गिरा हुआ पा सके और फिर उसे हासिल करके अपने ढंग से उड़ा सके
और मैं पागल हूं एक पागल पतंग,
जो आसमान की ऊंचाइयों को छू कर बार बार, 
ये अनदेखा कर देती है कि मेरी एक डोर है 
जो वहां किसी के हाथ में है।
Written By:
Nidhi Narwal

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