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लेखक – वसीम बरेलवी
किताब – मेरा क्या
प्रकाशन – परम्परा प्रकाशन, नई दिल्ली
संस्करण – 2007
Difficult Words
शिकस्त = हार।
शब-ओ-रोज़ = रात और दिन, हमेशा, हर समय।
ख़ुश्क = सूखा, मुरझाया हुआ, निंदक।
ग़म-ए-दोस्त = प्रिय का दुःख ।
बे-दर्द = भद्दा, बेरहम, क्रूर।
Zindagi Tujh Pe Ab Ilzaam Koi Kya Rakkhe
Zindagi tujh pe ab ilzaam koi kya rakkhe
Apana ehsaas hi aisa hai jo tanha rakkhe
Kin shikaston ke shab-o-roz se guzara hoga
Ve musavvir jo har ik nakash adhoora rakkhe
khushk mittee hee jab paanv jane na dee
bahate dariya se phir ummeed karate hain ki koee rakkhe
aa gam-e-dost usee mod pe ho jaoon juda
jo mujhe mera hee rahane de na tera rakkhe
aarazooon ke bahut khvaab to dekho ho vaseem
jaane kis haal mein be-dard zamaana rakkhe .
(In Hindi)
ज़िंदगी तुझ पे अब इल्ज़ाम कोई क्या रक्खे
अपना एहसास ही ऐसा है जो तन्हा रक्खे
किन शिकस्तों के शब-ओ-रोज़ से गुज़रा होगा
वो मुसव्विर जो हर इक नक़्श अधूरा रक्खे
ख़ुश्क मिट्टी ही ने जब पाँव जमाने न दिए
बहते दरिया से फिर उम्मीद कोई क्या रक्खे
आ ग़म-ए-दोस्त उसी मोड़ पे हो जाऊँ जुदा
जो मुझे मेरा ही रहने दे न तेरा रक्खे
आरज़ूओं के बहुत ख़्वाब तो देखो हो ‘वसीम’
जाने किस हाल में बे-दर्द ज़माना रक्खे ।
– Waseem Barelvi