Loan Ishq Ka | Aditya Mudgal | The Social House Poetry | Whatashort
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Poetry Title – Loan Ishq Ka
Written by – Aditya Mudgal
Source by – The Social House Poetry
Loan Ishq Ka Lyrics
चलो माना आज बुलंदियों पे उनके सितारे होंगे
चलो माना आज बुलंदियों पे उनके सितारे होंगे अपनी हदों को भूलने वालों,
तुम्हारे भी कुछ किनारे होंगे…(×२)
गैर बनने का दिखावा करके भटक लो दरबदर
मगर इल्म रहे इस बात का,
तुम्हारी मंजिल के आखरी दरवाजे हमारे होंगे
मूल हिले ना ब्याज बढ़े
इश्क ऐसा कर्ज है
फिर भी लेना हो तो लो
समझाना हमारा फर्ज है
कि जिसको समझो तुम दवा
जिसको समझो तुम दवा
साला वही तो असली मर्ज है
फिर भी मरना हो तो मरो हमें कहां कोई हर्ज है
आहिस्ता आहिस्ता रोने की,
आहिस्ता आहिस्ता रोने की जैहमत भी क्यों करनी है
ये तो पहली किस्त है प्यार की मियां
आगे और भी भरनी है
मंजर बिगड़ेंगे हालात के
जब गुजरेगा वक्त बिन मुलाकात के
कहना चाहेगा जो भी कुछ तू
मायने गलत ही निकलेंगे हर बात के
और सुन ले जो कश्ती लेकर निकला है ना
वो बीच मझधार में फंसनी है
ये बारिश तो तूफान की झलक भर है
बारिश तो तूफान की झलक भर है
अभी तो बिजली गिरनी है
कि गलती ना हो तब भी झुकना पड़ेगा
गलती ना हो तब भी झुकना पड़ेगा
कदम बढ़ाना चाहते हुए भी रुकना पड़ेगा
सवार सके तो सवार ले
क्योंकि बाद में दुनिया उजड़नी है
ये झगड़े तो शुरुआती है आगे जंगे लड़नी है
इक दिन ऐसा आएगा,
इक दिन ऐसा आएगा… जब हर गलती गुस्ताखी होगी,
सब दलीलें खारिज करके बस सजा सुनानी बाकी होगी
क्योंकि याद रखना उसे खबर है
याद रखना उसे खबर है
कब कौन सी नवस पकड़नी है
तू दो सीढ़ी पे थक गया
अभी इमारत चढ़ानी है…
–Aditya Mudgal