Sshh.. Tu Ro NAHI Sakati | Shivani Thakur | The Social House Poetry | Whatashort | Poem In Hindi

Sshh.. Tu Ro NAHI Sakati | Shivani Thakur | The Social House Poetry | Whatashort | Poem In Hindi

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Description:


Poetry Title – Sshh Tu Ro Nahi Sakati
Written By – Shivani Thakur

शशशश….चुप कर
शशशश….चुप कर तु रो नहीं सकती
तेरे आंसू बहुत कीमती है,
तु व्यर्थ इन्हें खो नही सकती
शशशश….चुप कर तु रो नहीं सकती

 कैद कर लें इन आंखों में समंदर बना दें
तू क्या है, चल दुनिया को दिखा दे
इस समंदर से एक दिन तुझे सैलाब लाना है
आज नहीं तो कल तुझे शिखर तक जाना है
शशशश….चुप कर तु रो नहीं सकती

अपने जख्मों पे मरहम लगा
उठ खड़ी हो फौलाद बन के दिखा
अपने जख्मों पर मरहम लगा
उठ खड़ी हो कॉलेज
तु शक्ति है तू क्यों रोती है
अरे तू शक्ति है तू क्यों रोती है
क्यों अपना दामन आंसुओं से भीगोती है
तेरी आंसुओं से कोई तुझे कम ना आक जाए
तेरी आंखों से कोई तुझे कम ना जाए
ये मान मर्यादाएं तेरे सपने ना निकल जाना
शशशश….चुप कर तु रो नहीं सकती

माना बेटी का जीवन किसी सजा से कम नहीं
पर खुदा की रजा से तुझे कोई गम नहीं
तू शीतल है तू कोमल है
तू तपती धूप में छाया है
तू घने अंधेरे में रोशनी है
कभी सरला कभी माया है
तू ठहरा दरिया नहीं
तू बहती धारा है
जीवन के इस भवसागर से
तूने ही सबको ताड़ा है
शशशश….चुप कर तु रो नहीं सकती

वो हंसती है तो हंसने दे
तू अपनी पहचान बनाती चल
खुद को तराश और
दुनिया के मुंह पर धूल उड़ाते चल
तू दीगांगना है तू वीरांगना है
हर कायर को हराती चल
हर मैदान फतेह करना है
तू अभी चैन से सो नहीं सकती
शशशश….चुप कर तु रो नहीं सकती

भेद ना पाए कोई, ऐसा वार बन
धार हो जिसकी सबसे तेज ऐसी तलवार बन
तू जन्म देती है तो दुष्टों का संहार बन
प्रारंभ की परिभाषा है तो अंत का आधार बन
तू जीत है ना हार बन
लक्ष्मी का स्वरूप है तो काली का भी अवतार बन
तू अपने अस्तित्व के लिए लड़ना सीख
तू यु खुद को खो नहीं सकती
शशशश….चुप कर तु रो नहीं सकती।

                                                   –Shivani Thakur