Main Likhungi Poetry – Shivani Thakur | The Social House Poetry
Credit:
Poetry Title – Main Likhungi
Written by – Shivani Thanks
Source by – The Social House
Main Likhungi Poetry
मैं लिखूंगी..
तू अपनी औकात दिखा
मैं अपना जोर आजमाँऊगी
एक कदम पीछे धकेल ऐ जिंदगी
मैं चार कदम आगे आँऊगी
मैं लिखूंगी…
अभी तो ये पहला अध्याय है
मैं पूरी किताब लिखूंगी
तेरे एक एक जुल्म सितम का
मैं तबीयत से हिसाब लिखूंगी
अपनी कलम में सच्चाई भर के
मैं तेरे लिए मुंह तोड़ जवाब लिखूंगी
और जिसे कहते हैं सब नामुमकिन
मैं हर वो ख्वाब लिखूंगी
मैं लिखूंगी…
सच को कब किसने स्वीकारा है
क्रांति को अक्सर ही नाकारा है
अरे खुन को साबित करना इतना सरल नहीं
अरे खून को साबित करना इतना सरल नहीं
तेरी चीख के बदले मेरी कलम ने हुंकारा है
मैं लिखूंगी…
तुम मोहब्बत पे लिखना
मैं मसलो पे लिखूंगी
तुम कल्पनाओं को लिखना
मैं कटाक्ष लिखूंगी
तुम धोखे पे लिखना
मैं देश पे लिखूंगी
तुम फरेब पे लिखना
मैं फर्ज पे लिखूंगी
मैं लिखूंगी…
तुम झूठ को लिखना
मैं सच्चाई लिखूंगी
तुम बुराई लिखना
मैं अच्छाई लिखूंगी
तुम लिख लेना बारिश और दिलकश मौसम पे
मैं तबाही लिखूंगी
मैं लिखूंगी…
मेरी कलम कभी तारीफों के गुलाम नहीं होगी
मगरूर को कभी मेरी सलाम नहीं होगी
मगरूर को कभी मेरी सलाम नहीं होगी
तुम कह लो जो कहना है
तुम जैसों के कहने पर मेरी कलम कभी बदनाम नहीं होगी
अरे अभी अभी तो मेरा सूरज चढ़ा है
इतनी जल्दी मेरी शाम नहीं होगी
मैं लिखूंगी..
–Shivani Thakur