Angutha Ka Nishan – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

अँगूठे का निशान | केदारनाथ सिंह 

'अँगूठे का निशान' कविता केदारनाथ सिंह जी द्वारा लिखी गई एक हिन्दी कविता है। अकाल में सारस' नामक कविता-संग्रह में यह कविता 'अंगूठे का निशान' भी संकलित हैं।

अकाल में सारस‘ नामक कविता-संग्रह में यह कविता ‘अंगूठे का निशान‘ भी संकलित हैं।

अँगूठे का निशान 

किसने बनाए
वर्णमाला के अक्षर
ये काले-काले अक्षर
भूरे-भूरे अक्षर
किसने बनाए
खड़िया ने
चिड़िया के पंख ने
दीमकों ने
ब्लैकबोर्ड ने

किसने
आखिर किसने बनाए
वर्णमाला के अक्षर
‘मैंने… मैंने’
सारे हस्ताक्षरों को
अँगूठा दिखाते हुए
धीरे से बोला
एक अँगूठे का निशान
और एक सोख्ते में
गायब हो गया।

                                             – केदारनाथ सिंह
Kisne banaye
Varnmala ke akshar
Ye kaale-kaale akshar
Bhure-bhure akshar
Kisne banaye
Khadiya ne
Chidiya ke pankh ne
Deemkon ne
Blackboard ne
Kisne
Aakhir kisne banaye
Varnmala ke akshar
‘Maine… maine’
Saare hastakshron ko
Angutha dikhate hue
Dheere se bola
Ek anguthe ka nishan
Aur ek sokhte mein
Gayab ho gaya.
                                     – Kedarnath Singh