Pyaar, Pizza aur Proposal
ये बात एक इतवार की है
मेरे ताजे ताजे प्यार की है
उसने मुझे date पे बुलाया था
और पूरे दिन का प्लान भी समझाया था
यूं तो मिले हम पहले भी कई बार थे
पर इससे पहले हम सिर्फ, बस only अच्छे यार थे
उस दिन सजने में मैने पूरा वक़्त लगाया था
कुछ पल ही सही उसे इंतजार भी करवाया था
मुझे यकीन था कि उसकी आँखें मेरी राह तक रही होंगी
और मेरे इंतजार में उसकी हर सांस थम रही होंगी
पर वहाँ… वहां तो कुछ और ही नजारा था
अकेले बैठ वो पिज़्ज़ा खा रहा था
मुझे देख उसने प्लेट को आगे कर दिया
और उसे भी पिज़्ज़ा स्लाइस से भर दिया
फिर जब बोला ये चलेगा की कुछ और आर्डर कर दूं
मन तो किया उसके मुंह में chili fleece भर दूं
मेरी खामोशी ने जैसे उसे कोई सहारा दे दिया
मैं कुछ बोलूं उससे पहले
उसने अगले ऑर्डर का इशारा दे दिया
मुझे इंतज़ार था कि कब इजहार होगा
और उसे अगला ऑर्डर कब तैयार होगा
ना हाल चाल ना तारीफ ना कोई रोमेंटिक बात की थी
मिले तो थे पर नज़रों ने अब तक ना मुलाकात की थी
वो चीज़ में डूबा था यहाँ मेरी उम्मीदें डुब रही थी
वो टॉपिक्स में खोया था
यहाँ मेरी स्माइल खो रही थी
भर के मुँह में पिज़्ज़ा वो कुछ बड़बड़ाया
समझ के मैने इशारा उसे गुस्से में Oregano पकड़ाया
अब मेरे सब्र का हर बांध टूट रहा था
चेहरे पे गुस्से का एक्सप्रेशन फुट रहा था
उसका पिज़्ज़ा मेरी सौतन बन गया था
सुन कर मेरा bye वो भी तन गया था।
उठके जाने लगी तो उसने मेरा हाथ थाम लिया
गुस्सा तो बहुत थी पर फिर भी मैने सब्र से काम लिया
उसने मुझे अपने पास बिठाया
हाथों को हाथ में लेके समझाया
संग तेरे मुझमें कोई दिखावा नहीं है
तेरे सामने सब सच है कोई छलावा नहीं है
संग तरे जैसा हूं वैसा रह सकता हूँ
अपने दिल की हर बात कह सकता हूं
लो कह देता हूँ जिसका तुम्हें इन्तजार है
हां मुझे तुमसे और सिर्फ तुमसे प्यार है
सुन दिल तो बहुत खुश हुआ
पर मुस्कराहट दबा ली
बोले कुछ नहीं बस उसके प्लेट से पिज़्ज़ा स्लाइस चुरा ली
मेरी इस अदा ने उसके चेहरे पर खुशी भर दी
मैने बिन कुछ कहे उसे हां कर दी
तो ये बात उस इतवार की थी
मेरे प्यार और उसके इज़हार की थी।
– निधि सोलांकी