Zara Se Aansu Hi Toh Aaye Hain
ज़रा से आंसू ही तो आए हैं
मुस्कान थोड़ी गई है
दुख से रुखसत ही तो हुए है
खुशी से जान पहचान थोड़ी गई है
इतनी भी कोई दुख की बात है नहीं
इतनी भी कोई दुख की बात है नहीं
ज़रा सा दिल ही तो टूटा है
जान थोड़ी गई है।
भले ही लड़खड़ा गया हूँ
पर कोई नहीं संभल जाऊंगा
ढल गया था उसके तरीके में
पर अब बदल जाऊंगा
यादें छोड़कर गई है कई सारी
यादें छोड़कर गई हैं कई सारीं
उन्हें भी मिटा दूंगा
उम्मीद जो खड़ी होती है उसके आने की
उसे भी बिठा दुंगा।
चलो मान लेते है
चलो मान लेते हैं मैं ठीक नहीं था
पर उनकी तरफ से भी गलती थी
मै ज़रा सा धीमे चला था उन्हें आगे जाने की जल्दी थी।
केहने को पुरा किया था बस
था मैं आधा ही
उन्होंने कभी सोचा नहीं इतना
और मैंने कुछ ज्यादा ही
कसमें वादे थे साथ जीने मरने के
सब धरे रह गए
हाथ छुड़ाकर वो आगे बढ़ गयी
हम वहीं खड़े रह गए
सही था सब कुछ जिंदगी अच्छी थी
पर ठीक है कोई गम नहीं
अगर भला मेरा नहीं हुआ
तो घाटा उनका भी कम नहीं
ये बात जब तक उन्हें समझ आएगी
तब तक देर हो जाएगी
अभी तक तो अपनी है
बाद में गैर हो जाएगी।
– शुभम ताक