जॉन एलिया की बात करें तो उन्हें कौन नहीं जानता अब तक के सबसे ज्यादा पढ़े और सुने जाने वाले शायरों में से एक है। आज भी इनकी शायरियां इन्टरनेट में सोशल मीडिया के माध्यम से घुम रही है और लोग इनकी शायरियों को बहुत ज्यादा मात्रा में एक दुसरे से साझा भी करते हैं। उर्दू के इस महान शायर का जन्म भारत में अमरोहा उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके परिवार में पत्नी जाहिदा, दो पुत्रिया और एक पुत्र भी थे। जौन 8 वर्ष की उम्र से ही शेरों शायरियां करते थे। उन्हें उर्दू, हिन्दी, अंग्रेजी, हिब्रू जैसी भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। जॉन एलिया आज भी युवाओ की पहली पसंद हुआ करते हैं । भारत-पाकिस्तान के अलगाव के बाद वो पाकिस्तान चले गए थे वहां जाने के बाद भी जॉन एलिया भारत को भूल नहीं पाते थे भारत इनका पैतृक स्थान था। जॉन एलिया ने बहुत सी रचनाएं लिखीं थीं जैसे कि शायद ( Shayad ) – 1991, यानी (Yanee ) – 2003, गुमान ( Guman ) – 2004, लेकिन ( Lekin ) – 2006, गोया ( Goya ) – 2008।
इनकी सभी रचनाएं बेहतरीन और उमन्दा है, उनके जैसा शायर कोई नहीं, ना होगा कभी।
अपने पत्नी से तलाक के बाद जॉन एलिया एक दम टुट से गये थे। गम को भुलाने के लिए जॉन ने शराब पीना शुरू कर दिया और उन्हें कई बिमारियों ने जकड़ लिया। बहुत लम्बे समय से बीमार रहने के बाद 8 नवंबर 2002 को पाकिस्तान में इन्होंने अपनी आखरी सांस ली और अपने चाहने वालों को अलविदा कह गए। उनके शब्दों में जादू था उनकी शायरियां आज भी सीधे दिल को छुती है। जॉन एलिया की कुछ ऐसी ही चुनिंदा बेहतरीन शायरियां जो आपकी खिदमत में पेश है उम्मीद करता हूं आपको पसन्द आयेगी…..
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कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
तू भी चुप है
मैं भी चुप हूँ
ये कैसी तन्हाई है
तेरे साथ तेरी याद आई
क्या तू सच मुच आई हैं
हुस्न के जाने कितने चेहरे
हुस्न के जाने कितने नाम
इश्क़ का पेशा हुस्न-परस्ती
इश्क़ बड़ा हरजाई है
आज बहुत दिन बाद मैं अपने कमरे तक आ निकला था
जो ही दरवाज़ा खोला है, उसकी खुशबू आई हैं।
नया इक रब्त पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
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अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को
Meri baahon mein behekne ki saza bhi sun le,
Ab bahut der mein aazaad karunga tujh ko
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गवाई किस तमन्ना में ज़िन्दगी मैंने
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने
तेरा ख़याल तो है, पर तेरा वजूद नहीं,
तेरे लिए ये महफ़िल सजाई मैंने।
Gawaayi kis tamanna mein zindagi maine,
Woh kaun hai jise dekha nahin kabhi maine
Tera khayaal toh hai, par tera wajood nahin,
Tere liye yeh mehfil sajaayi maine.
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आखिरी बार आह कर ली है,
मैंने खुद से निबाह कर ली है
अपने सर इक बाला तो लेनी थी,
मैंने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली हैं।
Aakhiri baar aah kar li hai,
Maine khud se nibaah kar li hai
Apne sar ik balaa toh leni thi,
Maine woh zulf apne sar li hai
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ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी
Khoob hai ishq ka ye pehalu bhi
Main bhi barbaad ho gaya tu bhi
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सारे रिश्ते तबाह कर आया,
दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया
मैं रहा उम्र भर जुड़ा खुद से,
याद मैं खुद को उम्र भर आया।
Saare rishte tabaah kar aaya,
Dil-e-barbaad apne ghar aaya
Main raha umra bhar juda khud se,
Yaad main khudko umra bhar aaya.
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जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
Jo gujaari na jaa saki ham se
hum ne wo zindagi gujari hai.
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कैसे कहें कि उस को भी हम से है कोई वास्ता
उस ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
Kaise kahein ki us ko bhi ham se hai koi waasta
Us ne to ham se aaj tak koi gila hi nahin kiya
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यादों का हिसाब रख रहा हूँ
सीने में अज़ाब रख रहा हूँ
तुम कुछ कहे जाओ, क्या कहूं मैं
बस दिल में जवाब रख रहा हूँ
Yaadon ka hisaab rakh raha hoon, Seene mein azaab rakh raha hoon Tum kuch kahe jao, kya kahun main Bas dil mein jawaab rakh raha hoon
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कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
Kaun is ghar ki dekh-bhaal kare
Roz ik cheez tut jaati hai
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यूँ जो ताकता है आसमान को तू,
कोई रहता है आसमान में क्या ?
यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहां में क्या?
Yun jo takta hai aasmaan ko tu,
Koi rehta hai aasmaan mein kya
Yeh mujhe chain kyun nahin padta,
Ek hi shakhs tha jahaan mein kya
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अपना खाका लगता हूँ,
एक तमाशा लगता हूँ
अब मैं कोई शख्स नहीं,
उसका साया लगता हुँ।
Apna khaaka lagta hoon,
Ek tamaasha lagta hoon
Ab main koi shakhs nahin,
Uska saaya lagta hoon
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एक हुनर हैं जो कर गया हुँ मैं
सबके दिल से उतर गया हुँ मैं
क्या बताऊँ की मर नहीं पाता,
जीते जी जब से मर गया हुँ मैं।
Ek hunar hai jo kar gaya hoon main
Sabke dil se utar gaya hoon main
Kya bataun ki marr nahi paata,
Jeete-jee jab se marr gaya hoon main
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इलाज यह हैं की मजबूर कर दिया जाऊं,
वर्ना यूं तो किसी की नहीं सुनीं मैंने।
Ilaaj yeh hai ki majboor kar diya jaaun,
Varna yun toh kisi ki nahin suni maine
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दिल-ए-बर्बाद को आबाद किया हैं मैंने,
आज मुद्दत में तुम्हे याद किया है मैंने।
Dil-e-barbaad ko aabaad kiya hai maine,
Aaj muddat mein tumhe yaad kiya hai
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बेकार कर रहा हुँ अगर कर रहा हुँ मैं।
Itna toh jaanta hoon ke ab teri aarzoo,
Bekaar kar raha hoon agar kar raha hoon main.
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हर शख्स से बे – नियाज़ हो जा
फिर सब से ये कह की मैं खुदा हूँ।
Har shakhs se be – niyaaz ho ja
Phir sab se ye kah ki main khuda hoon.
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तू मेरे पास से इस वक़्त जा नहीं।
Mera ek mashwara hain ilteza nahin
Tu mere paas se is waqt ja nahin.
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शायद मुझे किसी से मोहब्बत नही हुई
पर यकीन सबको दिलाता रहा हूँ मैं।
Shayad mujhe kisi se Mohabbat nahi hui
Par yakin sabko dilata raha hoon main.
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जाइये और खाक उड़ाइये आप ,
अब वो घर क्या कि वो गली ही नहीं
Jayiye aur khak udayiye aap,
Ab wo ghar kya ki wo gali hi nahin.
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