Ab Tujhe Pyaar Karta Nahi Hoon Main Poetry Lyrics | Akash Verma | The Social House Poetry

This Beautiful Poetry 'Ab Tujhe Pyaar Karta Nahi Hoon Main' has written and performed by Akash Verma on The Social House's Platform

Ab Tujhe Pyaar Karta Nahi Hoon Main

इश्क़, मोहब्बत, वफ़ा, कसमें
जन्मों जन्मों तक साथ रहने के वादे किए थे
तुम ही चले गए छोड़कर मुझको,
वरना मैंने सब इरादे किए थे
तुझपे मैं सबसे ज्यादा यूं ऐतवार किया करता था
जलकर खुद तेरी जिंदगी में रोशनी किया करता था
तेरे चेहरे के नूर को देखकर निखर जाता था मैं
बस एक मुस्कुराहट से तेरी बर्फ सा पिघल जाता था मैं
याद आता है सब वो पुराना,
मगर शीशे की तरह बिखरता नहीं हूं मैं
सच बता रहा हूं अब तुझे प्यार करता नहीं हूं मैं
जब भी तू बुलाती थी तुरंत चला जाता था
मिलती थी निगाहें तुझसे, दिल मचल-मचल जाता था
उस वक्त को जैसे कोई खास तवज्जो मिलती थी
जब भी तुम मुझको यूं अकेले में मिलती थी
और अब भरी महफिल में भी तुझसे मिलने की चाह करता नहीं हूं मैं
सच बता रहा हूं अब तुझे प्यार करता नहीं हूं मैं
जन्मों जन्मों तक साथ रहने की वो बात करती थी
अरे क्यों फिजूल की बातों में तू दिन से रात करती थी
और तुझको ग़ज़ल कहा खुद को फकत अल्फ़ाज़ किया मैंने
शायरी पसंद थी ना तुझको तो शायराना अंदाज किया मैंने
शराब जैसा नशा हूं मैं, मगर शराब नहीं हूं मैं
तेरी जिंदगी की हकीकत हूं, कोई ख्वाब नहीं हूं मैं
सजा से बचने का अंदाज तो देखो जालिम का,
नजरे मिला के कत्ल कर दे और कहती है कातिल नहीं हूं मैं
जन्मों जन्मों तक साथ रहने की वो बात करती थी
अरे क्यों फिजूल की बातों में तू दिन से रात करती थी
और तुझको ग़ज़ल कहा खुद को फकत अल्फ़ाज़ किया मैंने
शायरी पसंद थी ना तुझको तो शायराना अंदाज किया मैंने
मगर अब अपनी शायरी में तुझको शराब करता नहीं हूं मैं
सच बता रहा हूं अब तुझे प्यार करता नहीं हूं मैं
तेरी बंदीश-ए-मोहब्बत ने दोस्तों से जुदा कर दिया था
क्या यही सब देखकर तूने खुद को खुदा कर दिया था
और जब भी मिलता हूं दोस्तों से तो उस वक्त के बिछड़न का मलाल होता है
अरे कहां वो फिर से पुराने वाला एतबार होता है
कि दोस्तों पर मरता हूं अपने,
तुझ पर मरता नहीं हूं मैं
सच बता रहा हूं अब तुझे प्यार करता नहीं हूं मैं
जो दिल से करता हूं वो बात नहीं है तेरी
करूं तुझको फिर से मोहब्बत,
अब इतनी औकात नहीं है तेरी
मोहब्बत के रिश्ते को फकत तूने खेल समझा था
अरे कहां समझा तूने रूह का मिलन,
बस जिस्मों का मौका मेल समझा था
अब तू किसी गैर की बाहों से लिपट या हमबिस्तर हो जा
तुझे इंकार करता नहीं हूं मैं
सच बता रहा हूं अब तुझे प्यार करता नहीं हूं मैं
                                           – Akash Verma