Do Ajnabi Poetry Lyrics | Faraz Hasan | The Social House Poetry

This beautiful love poetry 'Do Ajnabi' has written and performed by Faraz Hasan on The Social House's Plateform.

Do Ajnabi

एक बात है दिल की जो होठों तक लानी है आपको देखते ही आपसे मोहब्बत हो जानी है
एक कशमकश है अंदर जो आज आपको दिखानी है
एक बात है दिल की जो होठों तक लानी है
एक गरज है आंखों में आपकी 
जिसे देखकर हमारी नींदें उड़ जानी है
छलकती हंसी में आपकी हमें सदियां बितानी हैं
एक बात है दिल की जो होठों तक लानी है
केसर सी जुल्फों में आपकी हमें अपनी रातें उलझानी है
करीब रह के आपके हमें रातें बितानी है
एक बात है दिल की जो होठों तक लानी है 
आप आए हैं चंद लम्हों के लिए 
फिर बिछड़कर आपसे हमें ये मुक्तशर तन्हाईयां मिल जानी है
एक बात है दिल की जो होठों तक लानी है
तसल्ली से ले लो तलाशी मेरे दिल की
फिर ना केहना तपसिश में कमी रह गई थी।
तुझे जाने से जो मैं रोक लूं सो तेरा जाना किस बात का
बिछड़ना ही तो बेकरारी का एहसास दिलाता है।
तन्हां रातों में नींदों को संजोकर 
एक ख्वाब बनाया हसरतों को,
खुली आंख कमबख्त उस घड़ी, 
साया नजर आया
जब‌ उस हसीन वक्त,
यकीन है वो ख्वाब फिर से आएगा 
और इस बारी उन्हें बेपर्दा कर जाएगा
मचलेगी आंखें तो खोलूंगा नहीं 
चाहे रूह निकल जाए
पर उसे छोड़ूंगा नहीं
 गफलत के पर्दो से उसे निकालकर लाऊंगा
और ये अपना हसीन ख्वाब सबको दिखलाऊंगा
लड़ना है झगड़ना है पर खफा नहीं हूं, खफा नहीं हूं
जाना है लौट कर आना है पर तुमसे जुदा नहीं हूं, जुदा नहीं हूं।
                                        – Faraz Hasan