Jo Tu Bewafa Ho Gayi Poem Lyrics | Vikas Ahlawat | The Social House Poetry

This beautiful Poem 'Jo Tu Bewafa Ho Gayi' has written and performed by Vikas Ahlawat on The Social House's Plateform.

Jo Tu Bewafa Ho Gayi

कि अब जो तू बेवफा हुई 
तो उन सब बातों से कैसे पलट जाऊं
तुझे कभी जहां माना था 
अपना खुदा जाना था 
मैं तेरा ही तो दीवाना था 
मैं प्यार व्यापार से अंजाना था 
तुझसे शादी के ख्वाब सजा लिए 
गली मोहल्ले में तेरे प्यार के ढोल बजा लिए
जितनी हो सकते थे चर्चे मोहब्बत के हर जगह फैला लिए 
अब कैसे खुद से नजरें मिलाके
मैं खुद को ही गलत पाऊं
अब जो तू बेवफा हूई 
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं 
कि तुझ बिन जिंदा नहीं रह सकता 
मैं तेरे सिवा किसी और को मोहब्बत नहीं कह सकता 
मैं तुझसे जुदाई पल भी नहीं सह सकता 
मैं ताश का महल तेरे बिन कभी भी ढह सकता मन में सवाल इतने हैं कि 
काश इन से जल्दी से सुलट पाऊं  
अब जो तू बेवफा हूई 
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं 
कि मैं तुझ से सच्ची मोहब्बत करता हूं 
आज भी तुझको दिल-ओ-जान से मरता हूं 
तू लौट के अब भी वापस आ जाए 
यही दुआ भगवान से करता हूं 
मैं तुझ में मशरूफ इतना हूं कि 
कहां से किसी और के लिए मोहलत लाऊं 
अब जो तू बेवफा हूई 
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं 
तुझे आजाद करने का फैसला भी मेरा था 
तुझे आजाद करने का फैसला भी मेरा था नुकसान सब मेरे थे मुनाफा सब तेरा था 
दूर होगी तो खुश रहेगी 
ये तूने ही तो बताया था 
मैं तो सुन पड़ा था, बस तेरी हां में हां सर हिलाया था 
सब छीन लिया मेरा 
अब मांगने मंदिर में कौन सी दौलत जाऊं 
अब जो तू बेवफा हूई 
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं… 
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं…।
                                     – Vikas Ahlawat