Roshni Poetry Lyrics | Rajat Mishra | Fifty Shades Of Uth | Hindi Spoken Word


Roshni – Poetry | Rajat Mishra | Fifty Shades Of Uth | Hindi Spoken Word, Hindi Poetry , Rajat Mishra's Poetry
India may be the fastest growing economy, but there are still several villages that don’t have electricity at all. Roshni by Rajat is a metaphorical piece that takes us to one such village wherein people are about to see light for the very first time.
Credits:
Poetry Title – ‘Roshni’
Written By – Rajat Mishra
Curated By – Fifty Shades Of Uth
Location Courtesy – KoCreate-Creative Co-Working Space

‘Roshni’ Poem

मेरी कितनी पुश्ते जाने, इसी गांव में भस्म हुई है
साथ हमारे जलकर अब उम्मीदें भी खत्म हुई हैं 
जो लोग हमें सुलगाते हैं
हम उनकी शक्ल उजली देखें,
सन् 47 से यही आस है
एक दफा हम बिजली देखें..
शाम के दस्तक देते ही सारी गलियां अंधी हो जाती हैं ,
बस खामोशी पसरी रहती है
बातें ठंडी हो जाती हैं..
नन्हीं नन्हीं उंगलियां जब आंखों से आंसू पोछती हैं
बच्चों की आंखें जब धुआं हो, 
मां-ऐ  हम को कोसती हैं..
हम भी चाहते हैं मेले सजे ये गांव शाम भी झिलमिल हो
हम भी चाहते हैं मेले सजे ये गांव शाम भी झिलमिल हो…
अंधेरा यह तय ना करे कब तक और कितनी महफिल हो,
हम अपनी बुढ़ी आंखों का सारा ही उजाला लुटा चुके,
जितनी जलने की हिम्मत थी हम उससे ज्यादा
जुटा चुके..
बस एक जरा सी ख्वाहिश हैं कोयल की आखिर कुख से पहले,
गांव हमें रौशन दिख जाए,
अंतिम सांस की भूख से पहले..
खींच रही है तारे शायद सारे खम्भे जुड़ रहे हैं
खींच रहे हैं तारे शायद सारे खम्भे जुड़ रहे हैं..
बत्ती आने ही वाली है यह लफ्ज़ हवा में उड़ रहे हैं
मेरे आगे जो बल्ब टंगा है,
इसमें कुछ हरकत हो रही है,
मैं खुश हूं मेरे जाने से पहले गांव में बरकत हो रही है..
मैं देख रही हूं सैकड़ों बल्ब जुगनू के माफिक जल रहे हैं
मैं देख रही हूं सैकड़ों बल्ब जुगनू की माफिक जल रहे हैं..
लोग खुशी के मारे यहां अपने हाथों पर उछल रहे हैं
बस जाते जाते एक दुआ है मेरे बाद अंधेरा ना हो 
बस जाते जाते एक दुआ है मेरे बाद अंधेरा ना हो…
आंखें जब जो चाहे देखे इन पर वक्त का पहरा ना हो
ये सांसे मेरी या फिर है पर दिल में मेरे इत्मीनान है
ये सांसे मेरी या फिर है पर दिल में मेरे इत्मीनान है..
यह गांव तरक्की पर हो वैसे,
जैसे पूरा हिंदुस्तान हैं ।
                                                –Rajat Mishra