Sab Theek Ho Jayega Poetry Lyrics | Akash Singh | Move On | The Social House Poetry

This beautiful Poetry base on 'Breakup' ( Move On) has written and performed by Akash Singh on The Social House's Plateform.

Sab Theek Ho Jayega

वक्त की पाबंदियां और मीठी नोकझोंक का सिलसिला इश्क़ को बरकरार रखता था 
एक लड़की हर शाम रूठ जाती थी 
क्योंकि एक लड़का बेइंतहा प्यार करता था 
गमों की रात, परेशानी वाली शाम, मुश्किलों से भरी ये दोपहर 
और तकलीफों का हर सैलाब चला जाएगा
मुस्कुराते रहो मेरे दोस्त! सब ठीक नहीं है
लेकिन सब ठीक हो जाएगा
मुझे नहीं पता कि तुम्हारी परेशानी खड़ी है किस तकाज़े पर
मैं जो कुछ कहूंगा वो सब होगा 
सिर्फ मेरे अंदाजे पर  
बस इतना जान लो कि तुम्हारे चेहरे से
तुम्हारे हालात बयान होने लगे हैं 
तुम्हें देखकर तुम्हारे दोस्त भी 
अब परेशान होने लगे हैं 
तुम्हारी परेशानी के कई सबब होंगे 
मैं मानता हूं तुम्हारी जिंदगी में मुश्किलों के कई रब होंगे 
अरे तो क्या हुआ?? 
अरे तो क्या हुआ..? अपनी जिंदगी से खूबसूरती का ये बसर मत जाने दो 
अपने चेहरे से मुस्कुराहटों का असर मत जाने दो
दुनिया में उम्मीद जितना किसी के पास कभी कुछ रहा ही नहीं 
तुम क्यों नहीं समझते कि जो तुम्हारा नहीं हुआ वो असल में कभी तुम्हारा था ही नहीं
मुझे पता है! 
मुझे पता है… तुम्हें उसकी बातें याद आती होंगी
देर शाम कि वो मुलाकातें हैं जरूर सताती होगी
उसके दिए तौफे जब भी तुम अकेले में देखते होगे
मुझे पता है मेरे दोस्त कि तुम ये जरूर सोचते होंगे 
कि मेरी क्या गलती थी?? 
मेरी क्या गलती थी?.. क्या मुझ सा इश्क उसको हर किसी से हुआ होगा 
जहां सिर्फ मेरी उंगलियों के निशान थे वहां जाने कितनों ने छुआ होगा 
अरे तुम क्यों नहीं समझते कितने इश्क कितनी परवाह इतनी मुकम्मल रातों के बावजूद जो तुम्हारा नहीं हुआ 
वो किसी और का भी नहीं हुआ होगा 
खैर छोड़ो ये सब बस इतना जान लो कि
समझदारी की हर बड़ी उम्मीद तुमसे एक छोटी नादानी चाहती है 
कामयाबी अक्सर कुछ रिश्तो की कुर्बानी चाहती है 
तुम समझदार भी थे तुमने नादानी भी कर दी 
तुम कामयाब जरूर हो गए तुमने कुर्बानी भी कर  दी 
बड़े रिश्ते और भी हैं जिंदगी के पैमानों पर 
भाव ठीक से लगाना आजकल खुशियां बिकने लगी है दुकानों पर 
और खुद उठ जाओ अभी बहुतों को उठाना है 
जो लोग तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं उन्हें गले से लगाना है 
अरे कुछ नहीं बदला यार 
जरा इधर उधर जाकर तो देखो 
पापा याद कर रहे हैं एक बार घर जाकर तो देखो
इश्क़ में तो लोग खुश हो जाते हैं 
इश्क में तो लोग खुश हो जाते हैं 
तुम परेशान क्यों हो गए 
मिलना बिछड़ना तो रिवाज है यहां का 
तुम हैरान क्यों हो गए 
अरे क्या हुआ अगर वो चली गई? 
क्या हुआ अगर वो चली गई… 
तुम उदास क्यूं हो दुनिया बहुत बड़ी है मेरी जान तुम हताश क्यों हो 
सारी परेशानियों का हल यूं ही निकल जाएगा
एक बार घर जाओ मां को गले से लगाओ 
दुनिया को देखने का नजरिया ही बदल जाएगा
फिक्र इतनी है ना तुम्हारी 
फिक्र इतनी है ना तुम्हारी 
कि तुम्हारी पहचान और उसका नाम एक हो गए थे कुछ देर के लिए 
तुम्हारी पहचान से उसका नाम धीरे-धीरे अलग हो जाएगा 
मुस्कुराते रहो मेरे दोस्त सब ठीक नहीं है 
लेकिन सब ठीक हो जाएगा
इश्क़ की बागवानी में मुझे उसकी सूरत नजर आती 
वो लड़की अगर मेरे साथ होती तो और खूबसूरत नजर आती 
                                     – Akash Singh