Tere Jaane Ke Baad Poetry Lyrics | Jai Ojha | The aftermath of a Breakup

Tere Jaane Ke Baad Hindi Sad Poetry Performed and written by Jai Ojha

Tere Jaane Ke Baad 

एक बार में मर जाना आसान है 
लेकिन तिल तिल कर मना, धीरे-धीरे मरना बेहद मुश्किल
मगर जब वो साथ छोड़ दे तो आप धीरे धीरे मरने लगते हैं 
और मोहब्बत धीरे-धीरे मरना सीखा देती है




मैं रोता था तो ठीक था  
अब खामोश रहने लगा हूं 
देख तेरे जाने के बाद मै धीरे-धीरे मरने लगा हूं
तेरे जाने के बाद मेरे वजूद को, 
जैसे एक अजीब सन्नाटे ने है घेर लिया 
क्या बताऊं क्या हश्र हुआ,
जब से तूने है मुंह फेर लिया 
अब आठों ही पहर मैं बेहोश हूं 
बिस्तर से उठ नहीं पाता हूं 
मैं बात करूं तो किससे करूं
किसी को समझ नहीं आता हूं 
मैं तन्हा था तो ठीक था
मैं तन्हा था तो ठीक था अब अंधेरे से बातें करने लगा हूं 
देख तेरे जाने के बाद मैं धीरे-धीरे मरने लगा हूं
तेरे जाने के बाद अजीब मसला है 
कि मैं न सो पाता हूं न जग पाता हूं 
तेरे जाने के बाद मैं न सो पाता हूं न जग पाता हूं
जल चुका हूं, राख हूं 
फिर भी हर रोज सुलग जाता हूं
अब स्याह रात में नींद मेरी एक झटके से खुलती है
तेरे बिना एक रात तो जैसे एक सदी की तरह गुजरती है
यू आदमी मैं भी काम का था 
अब देख कितना बेकार रहने लगा हूं 
देख तेरे जाने के बाद मैं धीरे-धीरे मरने लगा हूं 




तेरे जाने के बाद में डरता हूं 
घुटनों को पकड़ कर सोता हूं 
खौफजदा हूं बेवफाई से, हर शख्स से सहमा रहता हूं 
अब बेवजह ही मेरे कानों में फोन की घंटी बजती है
आंखें फिर से उम्मीद लिए तेरी एक झलक को तरसती हैं 
तेरा इंतजार था तो ठीक था 
अब तेरे आने की झूठी उम्मीदें रखने लगा हूं 
देख तेरे जाने के बाद मैं धीरे-धीरे मरने लगा हूं 
तेरे जाने के बाद लगता है 
जैसे मेरे दिल को किसी ने जंजीरों से जकड़ लिया
मेरी सांसे इतनी भारी क्यों है 
क्या हर सांस को किसी ने पकड़ लिया ?
अब मैं तुझे कहां ढूंढू, 
अपना फोन टटोलू, 
बाहर देखूं ,
तू है अब तो कहीं नहीं 
मैं क्या करूं मैं बेबस हूं 
तेरी याद मेरे दिल से गई नहीं 
अब शायद इस चोट की कोई दवा नहीं 
बस लिखकर जख्म भरने लगा हूं 
देख तेरे जाने के बाद मैं धीरे-धीरे मरने लगा हूं 
उसे मोहब्बत के सिवा कुछ आता नहीं 
मजनू की खाता बस इतनी है 
वो ला-इलाह कहे या लैला कहे 
उसे बात इश्क़ की करनी है 
काश कि कोई सौदा कर ले 
सब ले ले और बदले में तुझे दे 
काश कि कोई आंखें पढ़ ले 
शब्दों को जरा परे रख दे 
तुझसे नफरत थी तो ठीक था  
अब तेरी इबादत करने लगा हूं 
देख तेरे जाने के बाद मैं धीरे-धीरे मरने लगा हूं
खैर मेरी अब कोई ख्वाहिश नहीं 
इच्छाएं सारी मर गई
अब तो जैसे वैरागी हूं 
इनायत मुझ पर बरस गई 
नाम तेरा मैं जप रहा हूं 
मानो हो सुमिरन भीतर चल रहा 
जैसे कोई सूफी हुआ हो 
खुदा से दर पे मिल रहा   
मैं तुझसे जुदा तो हो चुका हूं 
और अब तेरे ही साथ रहने लगा हूं 
देख तेरे जाने के बाद मैं धीरे धीरे मरने लगा हूं 
मैं रोता था तो ठीक था 
अब खामोश रहने लगा हूं 
देख तेरे जाने के बाद मैं धीरे – धीरे मरने लगा हूं देख तेरे जाने के बाद….
                                              – Jai Ojha
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