Tum Chale Gaye
जिंदगी के पन्ने कुछ यूं भरते गए
कुछ पल ढ़ेर सी खुशियां लाए
और कुछ आंखें नम करते गए
कुछ पल में जिंदगी से प्यार करवा दिया
और कुछ मौत को करीब लाने की साजिश करते गए
कुछ लोग बस गए दिल में इत्र की
महक की तरह
और कुछ मन से बेकदर उतरते गए
हाल क्या बताएं बेवफाई का
अपने अपनों को ही पराया करते गए
और फिर हर महफिल में हमारी रुसवाई करते गए
तुम चले गए पर यादें छोड़ गए
जो करनी थी तुमसे अधूरी वो बातें छोड़ गए
बता दिया होता अगर जाना ही था
मेरा दिल क्यों यूं दुखाना ही था
ना जाने क्यों जिंदा है वो आज भी सारे
उन हसीन लम्हों में किए जो वादे तोड़ गए
एक अरसे बाद मुलाकात तुमसे हुई थी
आंखों के दरमियां फिर से बात कुछ हुई थी
रात का अंधेरा मानो जिंदगी बता रहा था
कुछ तो था जो मुझे अब भी सता रहा था
चांद की मुस्कुराहट नशीली थी
तुम्हारी आंखें हुई अब गीली थी
सोचा पी लूं वो फिसलती बूंदे फिर
पर झूठ बोलना अब भी वो कहां भूली थी
मुझे यूं ही जज्बातों में बंद रहने दो
तन्हाई के समंदर में बहने दो
गिरने दो वो दर्द की बूंदे आंखों से मेरी
मुझे चुप रहकर भी सब कुछ कहने दो
मुझे यूं ही जज्बातों में बंद रहने दो
जकड़ने दो उन लम्हों को मुझे
जो पड़ गए अब काले हैं
मैंने संजोकर रखा था उन्हें बड़े लाडो से वो पाले हैं
सिमटने दो मुझे उस चादर में जो अब भी खुशबू उसकी फैलाती है
सारी बातें उसकी कही याद है मुझे
मेरे दिल को अब वो सेहलाती हैं
रातें अंधेरी पसंद है मुझको
चांद नहीं नजर आता अब
सुबह की रोशनी खाती है आंखों को मेरी
पहले सा खुश नहीं रहा जाता अब
मुझसे पूछो ना हाल मेरा
मेरे जख्मों को दर्द थोड़ा सहने दो
मुझे यूं ही चुप रहकर सब कुछ कहने दो
मुझे जज्बातों में बंद रहने दो।
– मनवीन कौर