Difficult Words
सहरा = Desert( रेगिस्तान)
सैराब = Fulfilled( पूरा )
तअल्लुक़ = Relation( सम्बन्ध)
हमनाम = एक ही या एक ही तरह का नाम रखने वाला।
वाबस्ता = Connected( जुड़े हुए)
तम-ए-इबादत Greed of prayer( प्रार्थना का लालच)
हिर्स-ए-ज़र = Greed for money(पैसे का लालच)
क़नाअ’त = Satisfaction, Contentment( संतोष)
इताअत = Obedience, Submission( आज्ञाकारिता, अधीनता)
Har Koi Dil Ki Hatheli Pe Hai Sahra Rakkhe
Har koi dil ki hatheli pe hai sahra rakkhe
Kis ko sairab kare wo kise pyasa rakkhe
Umr bhar kaun nibhaata hai talluq itna
Aey meri jaan ke dushman tujhe allah rakkhe
Hum ko achha nahin lagta koi humnaam tera
Koi tujh sa ho to phir naam bhi tujh sa rakkhe
Dil bhi paagal hai ki us shakhs se wabasta hai
Jo kisi aur ka hone de na apna rakkhe
Kam nahin tama-e-ibaadat bhi to hirs-e-zar se
Faqr to wo hai ki jo din na duniya rakkhe
Hans na itna bhi faqiron ke akele-pan par
Ja Khuda meri tarah tujh ko bhi tanha rakkhe
Ye qanaat hai itaat hai ki chaahat hai ‘faraaz’
Hum to raazi hain wo jis haal mein jaisa rakkhe.
हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे
(In Hindi)
हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे
किस को सैराब करे वो किसे प्यासा रक्खे
उम्र भर कौन निभाता है तअल्लुक़ इतना
ऐ मिरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे
हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिरा
कोई तुझ सा हो तो फिर नाम भी तुझ सा रक्खे
दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है
जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे
कम नहीं तम-ए-इबादत भी तो हिर्स-ए-ज़र से
फ़क़्र तो वो है कि जो दीन न दुनिया रक्खे
हँस न इतना भी फ़क़ीरों के अकेले-पन पर
जा ख़ुदा मेरी तरह तुझ को भी तन्हा रक्खे
ये क़नाअ’त है इताअत है कि चाहत है ‘फ़राज़’
हम तो राज़ी हैं वो जिस हाल में जैसा रक्खे।
– Ahmad Faraz