Difficult Words
ख़ाक़-ए-पा = Dust of feet(पैेरों की धूल)
तहज़ीब-ए-तअल्लुक़ = Relation culture ( संबंध संस्कृति)
Source
लेखक – वसीम बरेलवी
किताब – मेरा क्या
प्रकाशन – परम्परा प्रकाशन, नई दिल्ली
संस्करण – 2007
Kaisa Dariya Hai Ki Pyaasa To Na Marne Dega
Kaisa dariya hai ki pyaasa to na marne dega
Apni gahraai ka andaaza na karne dega
Khaak-e-paa ho ke milo, jisse milo, phir dekho
Is bulandi se tumhein kaun utarne dega
Pyaar tahzeeb-e-talluk ka ajee bandhan hai
KOi chaahe, to hade paar na karne dega
Doob jaane ko jo taqdeer samjh baithe ho
Aese logon mein kaum mujhe ubharne dega
Sab se jiti bh rahe sab ki chaheti bhi rahe
Zindagi aese tujhe kaun gujarne dega
Dil ko samjhaao ki bekaar pareshaan hai Waseem
Apni manmaani use koi na karne dega
– Waseem Barelvi
कैसा दरिया है कि प्यासा तो न मरने देगा
(In Hindi)
(In Hindi)
कैसा दरिया है कि प्यासा तो न मरने देगा
अपनी गहराई का अंदाज़ा न करने देगा
ख़ाक़-ए-पा हो के मिलो, जिससे मिलो, फिर देखो
इस बुलंदी से तुम्हें कौन उतरने देगा
प्यार तहज़ीब-ए-तअल्लुक़ का अजब बंधन है
कोई चाहे, तो हदें पार न करने देगा
डूब जाने को, जो तक़दीर समझ बैठे हों
ऐसे लोगों में मुझे कौन उभरने देगा
सब से जीती भी रहे सब की चहेती भी रहे
ज़िन्दगी ऐसे तुझे कौन गुज़रने देगा
दिल को समझाओ कि बेकार परेशां है ‘वसीम’
अपनी मनमानी उसे कोई न करने देगा
– वसीम बरेलवी