Manhar Seth Poetry Lyrics – Humari Mohabbat Aur Unka Bahana | The Social House Poetry

This beautiful love poetry 'Humari Mohabbat Aur Unka Bahana' has written and presented by manhar seth on The Social House's Platform.

Humari Mohabbat Aur Unka Bahana

जब जुल्फें गिरा के वो पलकें झुकाती थी
सांसे तो चलती थी पर जान निकल जाती थी 
उंगलियां भी तो फोन पे रुक रुक के चलती थी
रात को जब मैडम बैठ कर हमें मैसेज किया करती थी
पर आज मेरे पास उसकी यादों का बस खजाना है 
क्योंकि एक तरफ हमारी मोहब्बत है 
तो एक तरफ उनका  बहाना है  
ना जाने कैसा इश्क़ था उनका 
बिना कुछ कहे ही खफा हो गए 
हम पूरे रिलेशनशिप में उनसे वफ़ा करते रहे 
और वो बहाने देकर बेवफा हो गए 
पर आज भी हमारी मोहब्बत का एक फसाना है 
आज भी उन्हें भाभी भाभी कहकर छेड़ता जमाना है 
क्योंकि एक तरफ हमारी मोहब्बत है 
तो एक तरफ उनका बहाना है  
कि सिगरेट क्या शराब क्या 
मैंने तुम्हारी आंखों के नशे में झूम के देखा है 
तुम ले लेती थी ना हर बात का बदला 
मुझे याद है मैंने तुम्हें चुम के देखा है 
मैंने ज्यादा दुनिया तो नहीं देखी 
लेकिन तेरे जिस्म को नक्शे की तरह घूम के देखा है
मैं कुछ हिंदुस्तान सा वो कुछ पाकिस्तान सी
साला अपने इश्क़ को कश्मीर बना डाला है
क्योंकि एक तरफ हमारी मोहब्बत 
तो एक तरफ उनका बहाना है  
हमको बहाने देकर तुम किसी और से मिलने जाती थी  
वो ना मिलता था तो तीसरे को घर बुलाती थी 
पर हमारी वफा का सूरज तुम्हारी बेवफाई के चांद में ढलता रहा  
तुमने दिखा दिया ना कि तुम्हारा महबूब भी
 तुम्हारे शर्ट के रंग जैसा बदलता रहा
आज भी खुशबू आती है तुम्हारी मेरी शर्ट से 
क्या छुपाना है हमने तो दुनिया को बस यही बताना है 
एक तरफ तो हम बच्चों के नाम रख बैठे थे 
और अंत में उन्होंने पति किसी और को बनाना है
क्योंकि एक तरफ हमारी मोहब्बत 
तो एक तरफ उनका बहाना है 
जिंदगी में कुछ इस कदर मैं खुद को बर्बाद करता हूं 
जिस दिन शर्त लगती है किसी से तुझे भुलाने की
मैं उस दिन तुझे याद करता हूं।
                                      – Manhar Seth