Ek Roz Kitaab Se Phool Mila Poetry By Jai Ojha | Love Poetry

Ek Roz Kitaab Se Phool Mila Jai Ojha Poetry Images

Ek Roz Kitaab Se Phool Mila Poetry :- Very talented young poet Jai Ojha back with beautiful poetry which is titled Ek Roz Kitaab Se Phool Mila performed and written by him. This beautiful poetry presented by Jai Ojha official channel.

Ek Roz Kitaab Se Phool Mila

एक रोज किताब से फूल मिला 
बिल्कुल मुझ जैसी ही हालत में 
तनहा सा पर हंसता हुआ 
फना हो गया मोहब्बत में 
एक रोज किताब से फूल मिला 
बिल्कुल मुझ जैसी ही हालत में 
लोग कहते हैं मुरझाया है 
जख्म़ बड़े ही गहरे हैं 
लेकिन ध्यान से देखो तो सूफी हुआ है 
इश्क़ की खुशबू बिखेरे है 
जख्मों से जिसकी खुशबू आए 
सोचो वो मरा था कैसी राहत में
एक रोज किताब से फूल मिला 
बिल्कुल मुझ जैसी ही हालत में
न जाने कितनी पीड़ाएं सही 
दर्द का भी कोई पार नहीं 
ये इश्क़ शायद इकतरफा था 
था जिसमें कोई व्यापार नहीं
अरे क्या कमाल बंदगी है उसकी 
माशूक़ है जिसकी इबादत में
एक रोज किताब से फूल मिला 
बिल्कुल मुझ जैसी ही हालत में 
दर्द जब हद से गुजरा एक रोज 
तो दर्द में ही दवा मिली 
घुटन हुई दो पन्नों के बीच 
तो शायरी की हवा मिली 
कांटे हो बदन पर भले लेकिन 
उम्र गुजरी है सहादत में 
एक रोज किताब से फूल मिला 
बिल्कुल मुझ जैसी ही हालत में 
जिन हाथों ने कुचला इसको 
वो हाथ भी खुशबू से महक उठे 
क्या है कोई इस दुनिया में कहीं 
जो यूं मुरझाकर भी चमक उठे 
सदियों से ये पाक मोहब्बत 
दफ़न होती है इसी रिवायत में 
एक रोज किताब से फूल मिला 
बिल्कुल मुझ जैसी ही हालत में  
इस फूल को कोई मलाल नहीं है
जीवन इश्क़ पे लुटाया है
क्या हस्ती है उस आशिक की
जिसने कांटो को इश्क सिखाया है 
गम भला क्या होगा उसको 
कुर्बान हुआ है जो चाहत में 
एक रोज किताब से फूल मिला 
बिल्कुल मुझ जैसी ही हालत में 
तन्हा सा पर हंसता हुआ 
फना हो गया मोहब्बत में 
एक रोज किताब से फूल मिला 
बिल्कुल मुझ जैसी ही हालत में 
                                          – Jai Ojha