Maa Bata Mujhe
मां तू कमजोर तो नहीं है ये मैं जानती हूं
पर मुझे बात करनी है तुमसे
और बात दरअसल ये है कि मैं ये चाहती हूं
कि आज तू बात करें मुझसे
तू ठीक है ना? तूने खाना खाया? दवाई ली?
घर पर सब कैसे हैं?
अच्छा… शहर का मौसम, तेरी तबीयत सब
कैसा है?
तू ठीक है ना? मेरी याद आती है ना? मैं घर आंऊ
ये सब नहीं जानना मुझे
इन सब के जवाब तो मुझे पहले से पता है
क्योंकि बरसों से ये सवाल और इनके जवाब बदले नहीं है
मुझे तुझसे वो जानना है जो तेरी आंखों के बगल में पड़ा नील चीख चीख कर मुझे बताता है
बच्ची नहीं हूं मां अब बड़ी हो गई हूं
कहानियां सुनकर नींद नहीं आती है
बता वो सच्चाई जो तेरे होठों पर बर्फ के जैसी जमी रखी है
बता वो सब मुझे जिसका शोर तेरी चुप्पी से साफ-साफ सुनाई देता है
बता वो किस्सा जो तेरी पीठ पर मुझे हर बार दिखाई देता है
तेरे सुर्ख गालों पर मेहरून और नीले धब्बे हैं
जो घूंघट के पीछे तूने सालों तक रखे हैं
मगर मुझे नजर आते हैं
मां तू कितनी भोली है तेरी चूड़ियां तेरी कलाई के चोट छुपा नहीं पाती
तेरी हालत सब बताती है तू खुद बता क्यों नहीं पाती?
कि तेरे फर्ज के बदले कौन से किस किस्म के तोहफे हैं ये?
तेरे जीस्त के आखिर कौन सी किताब के सफे है ये
मुझे बता मैं वो किताब फाड़ कर कहीं फेंक दूंगी
ये तौफे देने वाले को मेरा वादा है तुझसे
ये तौफे वापस सूत समेत दुंगी
मां मैं तेरी बेटी हूं मैं तेरी बेटी हूं। इतना काबिल तूने बनाया है मुझे
कि पैर में चुभा कांटा खुद निकाल कर फेंक सकूं
गुनाहगार और गुनाह के मुंह पर एक तमाचा टैक सकूं
मां बता मुझे माथे पर सिंदूर की जगह ये खून क्यों रखा है तेरा?
इसे रखने वाला सच सच बता पिता है मेरा
मुझे शर्म नहीं आएगी
अरे कोई मोहब्बत का इजहार है क्या?
तू बोल तो सही… तु बोलती क्यों नहीं?
मां तेरे हकों का ऐतबार है क्या?
मैं कमजोर नहीं हूं…
मैं कमजोर बिल्कुल नहीं हूं
मां मगर मुझसे बात कर वरना शायद कमजोर पड़ जाऊं।
– Nidhi Narwal