About This Poem :- The beautiful poem ‘Chhapaak – A Poem on Acid Attack Victim’ for The Social House is presented by Kriti Chauhan and also written by her which is very beautiful and delightful.
Chhapaak – A Poem on Acid Attack Victim
एक नई सुबह या कहूं उसे काली रात
किस कलम से दूं उसके शब्दों को मैं जज्बात
नापाक किया था उसके चेहरे को तेजाब से उसने
झुलसा दिया था उसकी आंखों को ना जाने कितने ख्वाब थे उसमें
कलंकित किया था एक कोख को
प्यार का परचम लहराना था
वो सिर्फ मेरी है दुनिया को ये बताना था
पिघला दिया था चेहरा उसका की पास कोई ना आए
वो मेरी ना हो सकी तो किसी और की कैसे हो जाए
आशिकों एकना इतनी खलती
क्यों उस हैवान-ए-आशिक़ को एक ‘ना’ इतनी खलती रही
बीच सड़क एक लड़की तेजाब की बूंदों में जलती रही
तमाशा देख रहे थे लोग हाथों को पीछे बांधे
बचाने के लिए उस बच्ची को कोई क्यों ही रेखा फांधे
उसका जरा जरा पिघल गया फ़िक्र आखिर कोई क्यों करे
कोई मरता है तो मरने दो सिर्फ हम ही आगे क्यों
बढ़े
रोती थी उन रातों को उजाले से घबराती थी
आईने में देखकर खुद को खुद से डर जाती थी
नाम लक्ष्मी उम्र कुछ 15 साल रही होगी
जरा सोचिए उस जैसी और कितनी बच्चियां रही होंगी
अखबार खोलोगे निराशा तुम भी जताओगे
अगले ही पल ये हादसा तुम यूं भूल जाओगे
कि खुद से सवाल करती है वो
जो कभी रोज सवरा करती थी
आज अपना मुंह दुपट्टे से ढ़कती है वो
क्या वो मुझे अपनाएगा?
शादी के लाल जोड़े में अपने घर लेकर जाएगा?
जिस चेहरे को देख कभी शरमा जाता था
क्या उस चेहरे को देख फिर मुस्कुराएगा
कि सच्चाई की जलन को कुछ यूं कुबूलती है वो
खूबसूरती अगर छीन भी ली, मेरे सपनों को कैसे दफनाएगा
तेजाब फेंका है चेहरे पर तूने, हौसले कैसे जलाएगा?
– Kriti Chauhan