About This Shayari :- This beautiful Shayari for Jashn-e-Rekhta is presented by Waseem Nadir and also written by him which is very beautiful and delightful.
Ye Chahte The Maut Hi Humko Juda Kare
उसको मेरी तड़प का गुमा तक नहीं हुआ
मैं इस तरह जल के धुआं तक नहीं हुआ
तुमने तो अपने दर्द किस्से बना लिए
हमसे हमारा दर्द बयां तक नहीं हुआ
ये चाहते थे मौत ही हमको जुदा करे
अफसोस अपना साथ वहां तक नहीं हुआ
हैरत है वो भी शहर बसाने की जिद में है
तामीर जिससे अपना मकान तक नहीं हुआ
रुमाल ले लिया है किसी महजबीन से
कब तक पसीना पोछते हम आस्तीन से
ये आंसुओं के दाग हैं, आंसू ही घोएंगे
ये दाग धूल ना पाएंगे वाशिंग मशीन से
नाकाम हो के लौट रहे हैं फलक से हम
कैसे नजर मिलाएंगे जाकर जमीन से
हैरान मेहरबानो के रुमाल हो गए
आंसू कमाल-ए-ज़ब्त से लाल हो गए
ये देखना है किस घड़ी दफनाया जाऊंगा
मुझको मरे हुए तो कई साल हो गए
तुम सारी उम्र कैसे संभालोगे नफरतें?
हम तो जरा सी देर में बेहाल हो गए
कभी कपड़े बदलता है, कभी लहजा बदलता है
मगर इन कोशिशों से क्या कहीं शजरा बदलता है?
तुम्हारे बाद अब जिसका भी जी चाहे मुझे रख ले
जनाजा अपनी मर्जी से कहा कांधा बदलता है
परिंदा सोचता ये है रिहाई मिल गई मुझको
सफाई की गरज से जब कभी पिंजरा बदलता है
यहां सब कुछ बदल जाता है पल भर में
ये दुनिया है यहां सब कुछ बदल जाता है पल भर में
हमें अब देखना ये है कि तू कितना बदलता है
– Waseem Nadir