Zaroori Tha Kya by Vikas Ahlawat | The Social House Poetry

 About This Poetry :- This beautiful love poetry  'Zaroori Tha Kya?' for The Social House is presented by Vikas Ahlawat and also written by him which is very beautiful a piece.

About This Poetry :- This beautiful love poetry  ‘Zaroori Tha Kya?’ for The Social House is presented by Vikas Ahlawat (Aks) and also written by him which is very beautiful a piece.




Zaroori Tha Kya?

हम इश्क़ कर रहे थे 
वो सियासत कर रहे थे 
खता बस इतनी थी मेरी 
हम महबूब की इबादत कर रहे थे
शिकस्त मंजूर है मुझे 
तू हां तो भर, के इश्क़ तेरे लिए खेल था
तू और वफ़ा साथ कुछ ऐसे हो 
कि मानो ये तेल और पानी का मेल था
चा सी स्वाद आ गया
कुड़ी सी दिल आ गया
इश्क़ सी बेवफा हो गया 
दर्द सी शायर हो गया
माचिस कहां थी उनके पास दिल जलाने को
उनकी जुबां से किसी और का नाम ही काफी था आग लगाने को
तेरा रुख से नकाब हटाना जरूरी था क्या? 
मेरे इतना करीब आना जरूरी था क्या? 
अरे मैं तो बदनाम हुआ सो हुआ तेरी आशिकी में
मेरे इश्क़ में तेरा बेहया हो जाना जरूरी था क्या?
बड़े बदजुबान से शायर हो हकीकत लिखते हो 
अरे इतना भी क्या दिल टूटा है तुम्हारा 
जो हमेशा हंसते दिखते हो 
तेरे दिए जख्मों की गहराई ने
तेरे वादों की सच्चाई ने 
इश्क़ इश्क़ में मिली जुदाई ने मुझे शायर बनाया तेरी बेवफाई ने 
दूर रख सको तो रख लो खुद को मुझसे 
मेरी याद को कैसे भूलाओगे?
क्यों कहीं और दिल लगाते हो मुझे भूलाने को
खामखा किसी गरीब को रुलाओगे
अगर तुम्हें अब भी कोई वहम है तो आओ दूर करे देता हूं 
मैं तुमसे अब बहुत आगे बढ़ चला हूं 
जिंदगी की दौड़ में अच्छा भला हूं   
हां तुम कभी-कभी याद जरूर आती हो 
पर नजरअंदाज कर देता हूं क्योंकि पहले बहुत जला हूं 
और मेरे बुरे हालात देख तुम्हें सुकून मिले 
मुझे कतई बर्दाश्त नहीं 
मैं एक जिंदा सुखी इंसान हूं 
जिसे तुम छोड़ गई वो लाश नही 
और कुछ रह गया है अधूरा तो पूरा करे देता हूं अगर तुम्हें अब भी कोई वहम है तो आओ दूर करे देता हूं 
तुम होगी बहुत खूबसूरत
पर इंसान दोगली हो 
तुम जितनी बाहर से संपूर्ण, उतनी अंदर से खोखली हो 
और क्यों ना सुनाऊं दुनिया को तेरा किस्सा-ए-बेवफ़ाई
ये जानू, सोना सिर्फ मेरे लिए कहा? 
तुम तो जमाने भर के लिए तोतली हो  
और लौट आने की हो औकात तो 
आओ अपने जज्बात और वक्त का हिसाब करे देता हूं
अगर तुम्हें अब भी कोई वहम है तो आओ दूर करे देता हूं  
तुम जा चुकी हो मुझमें से दूर कहीं 
ना वो मोहब्बत, ना पागलपन 
अब वो तेरा फितूर नहीं 
दुनिया जानती है मुझे, लोग शायर कहते हैं 
हैरान ना होना जो दिखे अक्स मशहूर कहीं
और अक्स सिर्फ तुम्हारे लिए लिखता है तुम्हारा ये घमंड मैं चूर करे देता हूं 
अगर तुम्हें अब भी कोई वहम है तो आओ दूर करे देता हूं 
                                      – Vikas Ahlawat(Aks)