About This Poetry :- This beautiful love poetry ‘Tere Jaane Se Meri Jaan Chali Jayegi‘ for The Social House is performed by Nitya Singh and also written by her which is very beautiful a piece.
Tere Jaane Se Meri Jaan Chali Jayegi
ख्वाहिशों के बिना अब अपना गुजारा नहीं होता
हमारा हो के भी तो कोई हमारा नहीं होता
हम अपने रास्ते से लौट कर नहीं आते
तुमने उस रोज अगर दिल से पुकारा नहीं होता
मुझे मालूम है ये मेरी गलतफहमी है
जिंदगी भर कोई किसी का सहारा नहीं होता
तेरे जाने से मेरी जान चली जाएगी
ये सब फरेब है, कोई इतना भी प्यारा नहीं होता
मेरा इश्क़ समंदर जैसा
तेरा जैसे सहरा इश्क़
लाल इश्क़ सब करते होंगे
हमने किया सुनहरा इश्क़
खुलकर करने वाली शय भी
तुमसे खुलकर नहीं हुई
तुम यूं बच बच कर चलते थे
जैसे कोई पहरा इश्क़
तुमने कैसा इश्क किया था?
आज हुआ कल छूट गया
मेरे जैसा करना था ना
थोड़ा ठहरा ठहरा इश्क
मैंने इतना चाहा तुमको
लेकिन कोई कदर नहीं
तुमको ढूंढें नहीं मिलेगा
मेरे जितना गहरा इश्क़
प्यार पहला तो इत्तेफाकन था
ये गुनाह बार-बार मत करना
अब कभी लौट कर ना आऊंगी
तुम मेरा इंतजार मत करना
अपने पहचान लेना दुनिया में
गैर पर जां निसार मत करना
हर दफा ही ये दिल दुखाएगा
इश्क़ पर ऐतबार मत करना
आप सबके चेहरे बता रहे हैं
सब प्यार के मारे है
यहां दिल लगाने आए हैं,
हमारी जिंदगी भी कुछ खास नहीं है
हम आज के दिन भी कविता सुनाने आए है
मजा तो तब था कि आज के दिन,
अपने हमनशी की बाहों में झूम रहे होते
उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर,
हर बात पर उसे चूम रहे होते
इस फरवरी में चलती प्यार की हवा ने,
तुम्हें भी तो छुआ होगा ना
एक तरफा, दो तरफा, बेतरफा
अरे किसी तरह का इश्क़ तो हुआ होगा ना
बड़े बुजुर्ग कहते आए हैं प्यार से दूर रहो!
ये एक लाइलाज बीमारी है
फिर भी मर्ज़ को गले लगा लेने की,
हमारी आपकी जंग जारी है
सर्दी के इस मौसम में भी
अच्छे अच्छों के माथे पर पसीना आ गया है
दुकाने लग चुकी है मोहब्बत के नजरानो की
प्यार का महीना आ गया है
टैडी, चॉकलेट, गुलाब अभी बेशुमार बटने वाले हैं
दिवाली ना सही पर जगह-जगह पर
पटाखे फटने वाले है
कितनों को हासिल हो जाएगा उनका प्यार
और कितनों का दिल टूटेगा
खुल कर जी लो उस प्यार के मौसम को
बाद में तो बेस्ट फ्रेंड ही मजा लुटेगा
महीने, 2 महीने, 4 महीने में सब का भूत उतर जाएगा
जब प्यार अपना असली रंग दिखाएगा
मां का लाडला सुधर जाएगा
लेकिन ये प्यार भी ना किसी के आगे झुकता कहां है
सदियों से चला आ रहा है
चाह कर भी रुकता कहां है
फिर ये प्यार के मौसम में गाते गुनगुनाते कई दीवाने मिल जाएंगे
जब दिमाग दिल को समझाने आएगा
दिल को कुछ नए बहाने मिल जाएंगे
पर एक बात तो सच है
ये प्यार होता किसी मिश्री की डली सा है
धीरे-धीरे घुल कर मिठास देता है
बगीचे की किसी नई कली सा है
अगर इत्मीनान से खींचा जाए इसे
तो जिंदगी गुलज़ार कर देता है
खिलौना समझकर खेलोगे तो
अच्छी खासी जिंदगी बेकार कर देता है
तो किसी शाम अपने आंगन में बैठ के
आहिस्ते से चांद को उतार कर देखना
किसी ख्वाब से कम नहीं लगेगी
ये ज़िंदगी किसी अपने के साथ गुजार कर देखना
– Nitya Singh