Janna Zaroori Hai By Nidhi Narwal |  Spoken Word Poetry | Immature Ink

Janna Zaroori Hai Poetry Lyrics :- A famous young poetess Nidhi Narwal given a suprise to her every fans and supporters by giving a beautiful poetry which is titled "Janna Zaroori Hai" performed and written by by her under the own label of NIDHI NARWAL. Everyone excited to listen this beautiful poetry if you too so read this poetry and have a joy. Thanks!

Janna Zaroori Hai Poetry Lyrics :- A famous young poetess Nidhi Narwal given a suprise to her every fans and supporters by giving a beautiful poetry which is titled “Janna Zaroori Hai” performed and written by by her under the own label of NIDHI NARWAL. Everyone excited to listen this beautiful poetry if you too so read this poetry and have a joy. Thanks!

Janna Zaroori Hai

जानना जरूरी है,
रुके हो या रोके गए हो?
सोए हो या सुलाए गए हो,
गिर गए या धक्का लगा है,
जले हो या जलाए गए हो,
जानना जरूरी है

बहके गए हो या बहकाया गया है
तुम्हें क्या कुछ समझाया गया है,

शामिल है गिनती के लोग यहां

तुम खुद आए हो या बुलाया गया है
जानना जरूरी है

मंजिल भी है, मकसद भी है जिंदा भी हूं
कि भूल गए या भुलाया गया है
आंखों में आसूं है, चेहरे पे गम
फीकी तबस्सुम में लिपटे हो तुम
खुद के ही हाथों से गिरकर हो टूटे या फिर तुम्हें भी सताया गया है
जानना जरूरी है

कुर्बान हो रहे हो या चुने गए हो,
तुम ऐसे ही थे या बुने गए हो
रो दिए या रुला दिया गया
किसी के तो दिल में थे तुम ही बसे
वो वादा, वो शख्स, वो जगह
खुद छोड़ आए या भगा दिया गया?
जानना जरूरी है

खत्म हो रहे हो या कोई मिटा रहा है,

इस्तीफा दे रहे हो या कोई हटा रहा है,
ये झूठ, ये फरेब, ये धोखा, ये छल खुद सीखे है तुमने या कोई सिखा रहा है
जानना जरूरी है

कि शिकस्त चुनी तुमने या हराया है तुमको

बात सुनी तुमने या सुनाया है तुमको
ये कैसे फैसले ले रहे हो,

ये खुद की समझ है या घुमाया है तुमको

जानना जरूरी है

कि ठहरे ही थे तो चल क्यों नहीं पा रहे?

सोए ही थे तो उठ क्यों नहीं पा रहे?
क्या तुम ही थे वो? क्या तुम ही हो ये

जिंदा ही थे तो मर क्यों नहीं पा रहे?

                                         – Nidhi Narwal



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