Akhiri Khat Poetry | Manoj Muntashir

Akhiri Khat Poem Image By Manoj Muntashir

Akhiri Khat Lyrics :- Very famous and we’ll known bollywood lyricist Manoj Muntashir released a sentimentalist poem which is titled “Ek Sipahi Ka Akhiri Khat“. Manoj Muntashir tribute to all brave soldiers who lost their lives in recently happend indo-china border violent clash. In this poetry Manoj Muntashir describe the will of soldiers by his poetry.

Akhiri Khat Poetry

सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी सांस
मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी मां के पास
बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढूं
धमाधम ढोल बजे
तो ऐसा ही करना 
मुझे घोड़ी पे लेके जाना
ढोलकें बजाना 
पूरे गांव में घुमाना
और मां से कहना 
बेटा दूल्हा बनकर आया है
बहू नहीं ला पाया तो क्या
बारात तो लाया है
मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी, बड़े मनमौजी
कहते थे- बच्चे, तिरंगा लहरा के आना
या तिरंगे में लिपट के आना
कह देना उनसे, उनकी बात रख ली
दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई
आख़िरी गोली भी सीने पे खाई
मेरा छोटा भाई, उससे कहना 
क्या मेरा वादा निभाएगा
मैं सरहदों से बोल कर आया था
कि एक बेटा जाएगा तो दूसरा आएगा
मेरी छोटी बहना, उससे कहना
मुझे याद था उसका तोहफ़ा
लेकिन अजीब इत्तेफ़ाक़ हो गया
भाई राखी से पहले ही राख हो गया
वो कुएं के सामने वाला घर
दो घड़ी के लिए वहां ज़रूर ठहरना
वहीं तो रहती है वो
जिसके साथ जीने मरने का वादा किया था
उससे कहना 
भारत मां का साथ निभाने में उसका साथ छूट गया
एक वादे के लिए दूसरा वादा टूट गया
बस एक आख़िरी गुज़ारिश 
आख़िरी ख़्वाहिश
मेरी मौत का मातम न करना
मैने ख़ुद ये शहादत चाही है
मैं जीता हूं मरने के लिए
मेरा नाम सिपाही है
                                    – Manoj Muntashir

Akhiri Khat Poetry Video

Ek Sipahi Ka Akhiri Khat – Manoj Muntashir
एक सिपाही का आखिरी खत – मनोज मुंतशिर