Ek Tarfa Pyar Poetry By Manoj Muntashir | Hindi Poetry

Renowned lyricist Manoj Muntashir recited two Nazm(Poetry),  called 'Mera Pyaar Ektarfa' which is very loving and beautiful. This Nazm(Poetry) depicts

EK Tarfa Pyar Poetry :- These two Nazm(Poetry) by the famous lyricist Manoj Muntashir which are based on one-sided love, the first Nazm is ‘Mera Pyaar Ektarfa‘ which is very lovely and beautiful. The poem depicts the power of one-sided love and the second poem titled ‘Main Tumse Pyaar Karta Hoon‘ is also one of the most beautiful and beloved Nazm. Both these Nazm(Poetry) have been written by Manoj Muntashir, this Nazm is taken from his Hindi book named ‘Meri Fitrat Mastana’ which is very famous.



Ek Tarfa Pyar

1)Mera Pyaar Ektarfa
वो इक भटकती खुशबू मैं इक हवा का झोंका
न उसने मुझको बाँधा न मैंने उसको रोका
पल भर वो मुझमें ठहरे तो देर तक मैं महकूँ
दो घूँट पी के उसको मैं पागलों सा बहकूँ

मेरे दिल पे चढ़ गया है ये खुमार एकतरफा
मेरा प्यार एकतरफा!

अभी कल ही तो मिली थी ख़्वाबों के मोड़ पर वो
भीगा था रात भर मैं, बरसी थी रात भर वो
जादू है एक ऐसा जो मैं ही जानता हूँ
उसको छुए बिना भी, उसके गले लगा हूँ

दीवानगी के हैं ये आसार एकतरफा
मेरा प्यार एकतरफा!

कोई प्यार की ये पागल अलमस्तगी तो देखे
घर से निकलता हूँ मैं, तस्वीर उसकी ले के
कागज पे मैंने अपने सब शौक हैं उतारे
तस्वीर में जो रंग थे, मैं पी गया वो सारे

सौ बार उसको चूमा, हर बार एकतरफा
मेरा प्यार एकतरफा !

न मैंने कुछ कहा है न उसने कुछ सुना है
ये ख़्वाब तो अकेले मेरी आँखों ने बुना है
वो कहाँ है इसमें शामिल ये सुरूर सिर्फ मेरा
ये तड़प है सिर्फ मेरी, ये फितूर सिर्फ मेरा

मैं कर रहा हूँ खुद को बेकुरार एकतरफा
मेरा प्यार एकतरफा!

वो नहीं है मेरी बारिश मुझे प्यास क्यूँ है उसकी
नहीं आयेगी कभी वो, मुझे आस क्यूँ है उसकी
किसी मोड़ पर ठहर के उसको पुकारता हूँ
किसी बेंच पर अकेले शामें गुज़ारता हूँ

हर रोज़ कर रहा हूँ इन्तज़ार एकतरफा
मेरा प्यार एकतरफा!

कभी दिन हैं धुँधले-धुँधले कभी धूप जैसी रातें
कोई सरफिरा ही समझे ये सरफिरी सी बातें
कई तोहफे और दुआएँ तो फिजूल भेजता हूँ
उसकी तरफ से खुद को मैं फूल भेजता हूँ

मेरी ज़िन्दगी में आयी है बहार एकतरफा
मेरा प्यार एकतरफा!

2) Main Tumse Pyar Karta Hoon 

वो मेरा चांद सौ टुकड़ों में टूटा, 
जिसे मैं देखता था आख भर के 
जहां पर लाल हो जाते हैं आसूं , 
मैं लौटा हूं उसी हद से गुजर के
मुझे मालूम है शामें तुम्हारी किसी के नाम लिखी जा चुकी हैं 
मगर मैं क्या करूं, 
कि मेरी घड़ियां तुम्हारे वक़्त पे अब तक रूकी हुई हैं
मेरी हो तुम ये कोई नहीं कहेगा 
मगर ये सच तो फिर भी सच रहेगा 
मैं तुमसे प्यार करता था 
मैं तुमसे प्यार करता हूं
यह कैसा राबता है मेरा तुमसे 
तुम्हें खोने से डरता था
तुम्हें खोने से डरता हूं
मैं तुमसे प्यार करता था 
मैं तुमसे प्यार करता हूं 

जहर बरसा है क्या नींदों पे मेरी 
या मेरी आंखों में नश्तर गड़े हैं 
वजह क्या है? कोई समझाए मुझको 
ये मेरे ख्वाब क्यों नीले पड़े है 
तसल्ली अपनी अपने पास रखो
मुझे ये दर्द की रातें है प्यारी 
ये मेरा इश्क है मेरा रहेगा 
जरूरत ही नहीं मुझको तुम्हारी 
खलिश अब तक मेरे दिल में दबी है 
मुझे जो कल थी, वो ज़िद्द आज भी है 
मैं तुमसे प्यार करता था
मैं तुमसे प्यार करता हूं
तुम्हारी खैरियत के वास्ते मैं
दुआएं तब भी पढ़ता था, 
दुआएं अब भी पढ़ता हूं
मैं तुमसे प्यार करता था
मैं तुमसे प्यार करता हूं 

भटकती रह गई एक रात मेरी 
तुम्हारे बाजूओ में सो ना पायी   
बहुत कुछ होता है दुनिया में लेकिन 
यही एक चीज थी जो हो ना पायी 
हवा में घर बनाया था कभी जो 
उसी के सामने बेबस पड़ा हूं
तुम्हारे बिन दरीचा कौन खोलें?
कई जन्मों से मैं बाहर खड़ा हूं
ये दिल जो पन्ना-पन्ना फट चुका है 
कभी पढ़ना की इस पर क्या लिखा है 
मैं तुमसे प्यार करता था 
मैं तुमसे प्यार करता हूं
जो जीते जी ना मेरा नाम लेंगे
उन्हीं होंठो पे मरता था
उन्हीं होंठो पे मरता हूं
मैं तुमसे प्यार करता था 
मैं तुमसे प्यार करता हूं


                            – मनोज मुंतशिर

1 thought on “Ek Tarfa Pyar Poetry By Manoj Muntashir | Hindi Poetry”

  1. Itni mohabbat hai tumse ke
    jatana nahi bhuljana chahte hai tumhe

    Hum ashiq is kabil nahi shayad
    Ki humare dil ki aahat sunaai de tumhe

    Ishq hota to bhul jate humne to ibadat ki hai
    Sat samadar paar chale the leke sirf ek deedar ki aas

    Lehero se har bar dher hota vo ret ka mehel
    Fir bhi shiddat se banate vahi samandar ke pas

    Samandar ki sangdili ko unki bekhabri se jutladena chahte hai
    Bade naadan hai jo ektarfa ishq me fanah hona chahte hai.

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