Zindagi Poetry :- A very young, Famous and YouTube poetess Nidhi Narwal come back again with a beautiful poerty which is titled ‘Zindagi’. Nidhi Narwal has performed and written this beautiful poetry. This beautiful poetry ‘Zindagi’ has released under the label of FNG Media.
Zindagi By Nidhi Narwal
दिल के मसले, जिद्दी जज़्बात,
पूरे झगड़े और अधूरी बात
अनकहे सपने, जागी सी रात
सलामत यादें और बिगड़े हालात
इनका हल करना है
पर अभी अभी मालूम हुआ है कि कल मरना है
कोई बता दें अब मैं क्या करूं
जीलूं एक दिन बेफिक्री में या मौत से मैं ज़रा डरूं
जाने किस घड़ी वो मिल जाएगी
मिलते ही मुझको निगल जाएगी
मैं बाहें कितनी खुली रखूं
जब वो बाहें फैलाए नजर आएगी
अब मैं संभलना चाहती हूं
बिन रुके मैं चलना चाहती हूं
जो झड़ने को है एक बंद कली
वो कह रही मैं खिलना चाहती हूं
अच्छा फिलहाल क्या ऐसा हो सकता है कि
मुझे किसी तरह से पता लग पाए कि
मेरे पास आखिर कितना वक्त बचा है
तो मैं वक्त को जरा बांट लूंगी
महज मसर्रत, मुसीबतों के ढेर से मैं ढूंढ लूंगी, मैं छाँट लूंगी
(मसर्रत = ख़ुशी।)
मुलाकातें नहीं तो बातें सही
आज रुक जाते हैं ना, चलो जाते नहीं
हां माना कि बहस में शह और मात बची है
पर मेरे पास फकत ये रात बची
मैं गिन रही हूं अब कि कितनी सांसें आती हैं
मैं सोच रही हूं कितनी सांसें बाकी हैं
शायद ज्यादा नहीं या सच कहूं तो, पता नहीं
ज़िन्दगी एक गणित नहीं है
कहां शुरू है कहां ख़त्म है
कहां ये ज्यादा कहां ये कम है
ये कहीं पर लिखित नहीं हैं
लेकिन सुन, सुन खुदा पाताल या ऐ हवा
मुझे जिस में भी मिलने आना है
सुन, तू बस मेरी मोहब्बत को, फर्ज को जरा सब्र देना
मेरी लाश पर चढ़े फूलों की टूटी कलियों को सरासर देना
कफन को मेरे आशिकों के बोझ से दरख्वास्त है मत भर देना
और जहां दफ्न होकर भी वो आजाद रहे
मेरी रूह को ऐसी कब्र देना
मेरी रूह को ऐसी कब्र देना।
(सरासर = एक सिरे से, )
Written By:
Nidhi Narwal
Zindagi Poetry Video