Fursat Wala Pyaar Poetry :- This beautiful and lovely poetry ‘Fursat Wala Pyaar’ has been recited by Harsha Agrawal in a phase called “UnErase Poetry” and has additionally composed it himself. This poetry is for the individuals who need to discover cherish however don’t feel it. The adoration for soul is superior to the affection for body, it never ends with the mind. Artist Hasan has added some mood melodies which makes the poetry more wonderful.
Fursat Wala Pyaar
पढ़ना लिखना छोड़ काॅलेज की छत पे जाया करते थे
तुम घंटों तक अपनी अजीज नज्में सुनाया करते थे
मिसरो में लिपटा पनप रहा था किस्सो वाला प्यार
मेरे अनगिनत दिन ढलते थे तुम्हारे आंगन में
शहर की कड़कती धूप या रिमझिम गिरते सावन में
हौले हौले बरस रहा था हर मौसम वाला प्यार
जब घड़ी के काँटों का होना न होना था बेमानी
क्योंकि धूल रहे थे हम कतरा कतरा पानी पानी
न जाने किस पल हो गया हमें बेसुध वाला प्यार
दोस्त से कई ज्यादा पर लवर्स से थोड़े कम
कुछ अनकही बातें हमारी खामोशियों में थी गुम
छुप छुपके निभाते रहे शब्दों से परे वाला प्यार
अजीब, अटूट, उलझ गए थे जिस्म नहीं हमारे मन
हरसू एक दायरे में था रिश्ता हमारा पाबंद
किसी और सदी से उधार लिया हो जैसे रूहानियत वाला प्यार
पर सुनो, खूब है कभी दिया नहीं इस इश्क को अंजाम
इजहार कर कभी दिया नहीं हमने खुद को कोई ईनाम
किसी बंधन में बंध जाते, तो भी हम क्या पाते
कभी जली दाल कभी उधड़ी शर्ट पे तुम रूठ जाते
न टूटे वादों का बोझ है न निराशा की कोई शिकन
है तो बस अधूरे इश्क की मीठी सी चुभन
हकीकत की थपेड़ों से मीलों दूर है ये इश्क
हमारे दिलों में अब भी महफूज है
मैं जब भी तुमसे टकराती हूं फिर पहले सी हो जाती हूं गुलाबी ख्वाबों खयालों में न जाने कैसे खो जाती हूं
कौन कहता है..
कौन कहता है कि तुम्हारे पाने पर ही मेरा इश्क़ पूरा है
अगर ऐसा है तो क्या मीरा का प्रेम अधूरा है
किसी और संग निभा लूंगी मुकम्मल वाला प्यार
क्यूंकि मुझे तुम से चाहिए सिर्फ फुर्सत वाला प्यार
मुझे तुमसे चाहिए सिर्फ फुर्सत वाला प्यार
Written By:
Harsha Agrawal
Fursat Wala Pyaar