Jo Tu Bewafa Ho Gayi
कि अब जो तू बेवफा हुई
तो उन सब बातों से कैसे पलट जाऊं
तुझे कभी जहां माना था
अपना खुदा जाना था
मैं तेरा ही तो दीवाना था
मैं प्यार व्यापार से अंजाना था
तुझसे शादी के ख्वाब सजा लिए
गली मोहल्ले में तेरे प्यार के ढोल बजा लिए
जितनी हो सकते थे चर्चे मोहब्बत के हर जगह फैला लिए
अब कैसे खुद से नजरें मिलाके
मैं खुद को ही गलत पाऊं
अब जो तू बेवफा हूई
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं
कि तुझ बिन जिंदा नहीं रह सकता
मैं तेरे सिवा किसी और को मोहब्बत नहीं कह सकता
मैं तुझसे जुदाई पल भी नहीं सह सकता
मैं ताश का महल तेरे बिन कभी भी ढह सकता मन में सवाल इतने हैं कि
काश इन से जल्दी से सुलट पाऊं
अब जो तू बेवफा हूई
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं
कि मैं तुझ से सच्ची मोहब्बत करता हूं
आज भी तुझको दिल-ओ-जान से मरता हूं
तू लौट के अब भी वापस आ जाए
यही दुआ भगवान से करता हूं
मैं तुझ में मशरूफ इतना हूं कि
कहां से किसी और के लिए मोहलत लाऊं
अब जो तू बेवफा हूई
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं
तुझे आजाद करने का फैसला भी मेरा था
तुझे आजाद करने का फैसला भी मेरा था नुकसान सब मेरे थे मुनाफा सब तेरा था
दूर होगी तो खुश रहेगी
ये तूने ही तो बताया था
मैं तो सुन पड़ा था, बस तेरी हां में हां सर हिलाया था
सब छीन लिया मेरा
अब मांगने मंदिर में कौन सी दौलत जाऊं
अब जो तू बेवफा हूई
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं…
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं…।
– Vikas Ahlawat