ओ मेरी उदास पृथ्वी | केदारनाथ सिंह
‘अकाल में सारस‘ नामक कविता-संग्रह में संकलित यह कविता ‘ओ मेरी उदास पृथ्वी‘ भी है।
ओ मेरी उदास पृथ्वी
घोड़े को चाहिए जई
फुलसुँघनी को फूल
टिटिहिरी को चमकता हुआ पानी
बिच्छू को विष
और मुझे ?
गाय को चाहिए बछड़ा
बछड़े को दूध
दूध को कटोरा
कटोरे को चाँद
और मुझे ?
मुखौटे को चेहरा
चेहरे को छिपने की जगह
आँखों को आँखें
हाथों को हाथ
और मुझे ?
ओ मेरी घूमती हुई
उदास पृथ्वी
मुझे सिर्फ तुम…
तुम… तुम…
– केदारनाथ सिंह
Ghode ko chaahiye jayi
Phoolsunghni ko phool
Titihiri ko chamakta hua paani
Bichchhu ko vish
Aur mujhe ?
Gaay ko chaahia bachhada
Bachhade ko doodh
Doodh ko katora
Katore ko chaand
Aur mujhe ?
Mukhaute ko chehra
Chehre ko chhipne ki jagah
Aankhon ko aankhein
Haathon ko haath
Aur mujhe ?
O meri ghumti huyi
Udaas prithvi
Mujhe sirf tum…
tum… tum…
– Kedarnath Singh