कितना अच्छा होता है – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना । हिन्दी कविता
कितना अच्छा होता है । सर्वेश्वरदयाल सक्सेना कितना अच्छा होता है एक-दूसरे को बिना जाने पास-पास होना और उस संगीत को सुनना जो धमनियों में बजता है, उन रंगों में नहा जाना जो बहुत गहरे चढ़ते-उतरते हैं। शब्दों की खोज शुरू होते ही हम एक-दूसरे को खोने लगते हैं और उनके पक़ड़ में आते ही … Read more