Teri Yaad Dil Se Lagaye hue Hai Poetry – Aftab Alam
Teri Yaad Dil Se Lagaye hue Hai
मिले जो जहर तो उसको भी जैसे जाम लेते हैं
परेशानी को हम खुशियों का उन्मान लेते हैं
हिला तक भी नहीं सकते हमारे हौसले दुश्मन
उसे हम पा ही लेते हैं जिसे हम ठान लेते हैं
जिन्हें रखना है रख ले आईना घर में कई
अपने
मैं सच्चा दोस्त रखता हूं सो आईना नहीं रखता
शरीक जिंदगी में अपने मुझको पाओगे
होगे जब खुश मेरी यादों से लिपट जाओगे
लाख कोशिश करो तुम मुझसे दूर जाने की
तुम अपनी रूबरू एहसास मेरा पाओगे
दिल के मिलने में ही खुशबू जरा-जरा सी है
रुह से मिलोगे तो महक जाओगे
अपना जहां अलग से बसाए हुए तो है
बसाए हुए तो है..
हम तेरी याद दिल से लगाए हुए तो है
लगाए हुए तो है..
अगर आंधिया आ जाना चाहते
आ जाए क्या है डर
कितने तूफान दिल में बसाए हुए तो है
बसाए हुए तो है
और तू साथ चले या ना चले तेरी है मर्जी
ये तेरी है मर्जी…
तू साथ चले या ना चले तेरी है मर्जी
तेरे लिए तो ये हाथ बढ़ाए हुए तो है
बढ़ाए हुए तो है
किसी का भी दिल मैं दुखाता नहीं
मगर जाने क्यों सबको भाता नहीं
खटकता भी रहता हूं नजरों में मैं
मगर चैन मुझ बिन भी आता नहीं
किसी का भी दिल मैं दुख आता नहीं
जो पढ़ना है पढ़ लो निगाहें मेरी
ज़ुबां से तो कुछ मैं बताता नहीं
अलग बात है सबको भाता नहीं
और जो दिल में है मेरे वो चेहरे पे हैं
जो दिल में है मेरे वो चेहरे पे हैं
मुखौटे से खुद को छुपाता नहीं
अलग बात है सबको भाता नहीं
बहुत जर्फ़ है मेरे रग में अभी
मैं पीता हूं आंसू बहाता नहीं
तुम्हें छोड़ना है तो तुम छोड़ दो
मैं खुद से तो दामन छुड़ाता नहीं
अलग बात है सबको भाता नहीं
मेरे साथ चलना जरा सोचकर
बढ़ाकर कदम खींच पाता नहीं
अलग बात है सबको भाता नहीं
पराया रहा हूं मैं अपनों मैं अक्सर
मैं हूं कितना तनहा दिखाता नहीं
अलग बात है सबको भाता नहीं
मैं कैसे बताऊं वो क्या है मेरा
मेरी जान है जान पता नहीं
किसी का भी दिल मैं दुख आता नहीं
अपनी तो जिंदगी कटती है यहां टुकड़ों में
सर को ढकती है तो पैरों से उधड़ जाते हैं
इतनी चाहत से ना देखो हमारी जान-ए-तुम
जख्म इतने हैं कि हम प्यार से डर जाते हैं
– Aftab Alam