Aana – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

आना | केदारनाथ सिंह 

'आना' केदारनाथ सिंह जी द्वारा लिखी गई एक हिन्दी कविता है।
आना‘ कविता ‘अकाल में सारस’ नामक कविता-संग्रह में‌‌ संकलित हैं।

आना

आना
जब समय मिले
जब समय न मिले
तब भी आना
आना
जैसे हाथों में
आता है जाँगर
जैसे धमनियों में
आता है रक्त
जैसे चूल्हों में
धीरे-धीरे आती है आँच
आना
आना जैसे बारिश के बाद
बबूल में आ जाते हैं
नए-नए काँटे
दिनों को
चीरते-फाड़ते
और वादों की धज्जियाँ उड़ाते हुए
आना
आना जैसे मंगल के बाद
चला आता है बुध
आना।

                                            – केदारनाथ सिंह
Aana
jab samay mile
Jab samay na mile
Tab bhi aana
Aana
Jaise haathon mein
Aata hai jaangar
Jaise dhamaniyon mein
Aata hai raqt
Jaise chulhon mein
Dheere-dheere aati hai aanch
Aana
Aana jaise baarish ke baad
Babool mein aa jaate hain
Naye-naye kaante
Dinon ko
Chirte-phaadte
Aur wadon ki dhajjiyaan udaate hue
Aana
Aana jaise mangal ke baad
Chala aata hai budh
Aana.
                                   – Kedarnath Singh