Main Uska Ek Shauq Tha
सफर में जब निकले थे तो मंजिल एक थी
फिर कुछ देर बाद रास्तों का बंटवारा हो गया
जिसे मंजिल कभी मिल ना सकी
मैं उस कश्ती का किनारा हो गया।
मैं उसका एक शौक था
जो पूरा हो गया
जो पूरा हो गया
जब तुमने इजहार किया
हां मैंने तुम्हें थोड़ा सताया थोड़ा इंतजार कराया।
पर सच कहूं तो मैं उस एक पल से ही तुम्हारा हो गया
तुम तो मेरा ही हिस्सा थी ना
तो फिर आज क्यों मैं
मुकम्मल होने से पहले अधूरा हो गया
मैं उसका एक शौक था
जो पूरा हो गया।
तुमने तो कहा था ताउम्र साथ निभाओगी,
कभी नहीं छोड़ोगी
तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले?
मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ!
अब ये प्यार किसी और से नहीं होगा
तो फिर कैसे किसी और से
तुझे वही प्यार दोबारा हो गया
मैं उसका एक शौक था
जो पूरा हो गया।
पता है…
तेरे जाने के बाद कुछ दिनों तक
मैं अधमरा सा हो गया
फिर एक दिन उसका कॉल आया
और हमारा घाव फिर खुरदुरा हो गया
मोहब्बत मेरी तो सच्ची थी
फिर ऐसा क्यों हुआ कि खुशियां सिर्फ तेरी
और गम सिर्फ हमारा हो गया
मैं उसका एक शौक था
जो पूरा हो गया।
कहते हैं हंसने से चेहरा सितारे से चांद हो जाता हैं।
कुछ दिनों से हंसे नहीं है हम
क्या इसी वजह से ये चेहरा एक मायूस नजारा हो गया
मैं उसका एक शौक था
जो पूरा हो गया।
खुशियां तो सब मनाते हैं
कुछ हिम्मत वाले होते हैं
जो गम में भी मुस्कुराते हैं
पर हाल पूछो उनसे जिनकी बर्बादियों का भी जश्न-ए-बहारा हो गया
मैं उसका एक शौक था
जो पूरा हो गया।
वो गुलाब जो तुमने मुझे पहली बार दिया था
वो दिल वाला तकिया जो तुमने दिया था
जिसे हर रोज में सराहाने रख कर सोता हूं
वो तेरी खुशबू जो मेरे शर्ट में अब भी है
वो तेरा एक झुमका जो मेरे कबाड़ में अब भी है
वो तेरी बात है जो मेरे जहन में अब भी है
वो हमारी यादें जो मेरे दिल में अब भी है
जा रही हो तो इन्हें भी साथ लेकर जाना
क्योंकि इश्क हमारा आखरी सांसें ले रहा है
लगता है वो भी बूढ़ा हो गया
मैं उसका एक शौक था
जो पूरा हो गया।
– रवि कान्त