Main Uska Ek Shauq Tha Poetry Lyrics | Ravi Kant | The Social House Poetry – 99lyricstore
Main Uska Ek Shauq Tha सफर में जब निकले थे तो मंजिल एक थी फिर कुछ देर बाद रास्तों का बंटवारा हो गया जिसे मंजिल कभी मिल ना सकी मैं उस कश्ती का किनारा हो गया। मैं उसका एक शौक था जो पूरा हो गया जब तुमने इजहार किया हां मैंने तुम्हें थोड़ा सताया थोड़ा … Read more