‘Achha Aadmi Tha’ Poetry Lyrics | Rakesh Tiwari | Spill Poetry

Heart Touching Poem, Best Heart Touching Poem in Hindi
Description:
Poem Title – ‘Achha Aadmi Tha’ 
Author Name – Rakesh Tiwari
Trigger Warning – Depression, Suicide, Loss   
Author Comes With A Heart-Wrenchingly Beautiful Poem, Which Teaches Us A Very Important Thing Which We All Seems To Have Forgotten “Listening”
#StartListening

Achha Aadmi Tha Poem

अच्छा आदमी था

बहुत अच्छा आदमी था

ये बात तुमने कह दी यकीन से
या अंदाज़े पर

अब कुछ ना कुछ तो कहना बनता था ना

उसके जनाजे पर
 नहीं कहते तो जमाने को तुम्हारी अच्छाई पर शक हो जाता

अगर वह सुनता ना तो खुशी के मारे पागल बेशक हो जाता 
खैर ये बताओ कि अच्छा ही था तो

अच्छे पन का हिसाब क्यों नहीं दिया

हफ्ते भर से कुछ पूछ तो रहा था ना वो

कभी सवालों का जवाब क्यों नहीं दिया

वो जब पूछता कि मेरी जिंदगी में गमों के सिवा कुछ बाकी रहेगा या नहीं

और फिर तुम हंसकर कह देते कि

यार तू उसके सिवा कुछ और कहेगा या नहीं
काश के हंसी ठहाके सिलसिले को तोड़ कर देखा होता

काश के जितने बार उसे अलविदा कहा

उसी रास्ते पर रुक के पीछे मुड़कर देखा होता

तो जानते कि तुमसे मिलने के बाद वह कभी घर नहीं गया था
उसके चेहरे से नाराज़गी का असर नहीं गया था
वही पेड़ के सहारे सड़क के किनारे बैठ जाया करता था

आते जाते मुसाफिरों से रूठ जाया करता था

तुम जानते थे ना कि वह हम सब से कुछ दिनों से बड़ा अलग अलग सा दूर सा रहता था

पर क्या यह जानते हो कि अकेले पलंग पर लेटे अपने घर में पंखों दीवारों को घूरता रहता था
कहा तो था उसने कि मिलो, मुलाकातें करनी है

जो किसी और से नहीं कहीं वह तुमसे बातें करनी है

और तुम

ऐसे में जिंदगी कैसे जीनी चाहिए ऐसी बातें फर्जी भेज कर दो चार चुटकुलों के साथ हंसी वाला इमोजी भेज कर तुम्हें लगता था कि वह सम्भल जाएगा

सम्भला नहीं तो क्या हुआ

अच्छा आदमी है समझ जाएगा

पर वो तुम्हारी चीजों को पढ़कर सोचता था

कि एक मेरे पास ही हंसने की हसरत क्यों नहीं है
इस जिंदगी में मेरे सिवा ही किसी को मेरी जरूरत क्यों नहीं है
जरूरत है.. काश कि उसे एहसास दिला दिया होता

काश कि उसे एहसास दिला दिया होता

बिना वजह गले लगा कर पास बैठा लिया होता
काश के जानते कि हर रोज वह जानबूझकर बिना कुछ खाएं बेहोश कैसे हो जाता था

काश की समझते क्यों बोलते बोलते खामोश कैसे हो जाता था
काश की उसके लिए ही उससे लड़ लिया होता उसके घर की दीवारों से ज्यादा उसकी उस डायरी को पढ़ लिया होता

तो जानते कि उसकी आंखों में कोई सपना नहीं था

उसके अपने बहुत थे पर उसका कोई अपना नहीं था

काश की हम में से कोई तो उसके घर पर वक्त पर पहुंचा होता

तो उसने उस दवाई की शीशी को खोलने से पहले कुछ तो सोचा होता

काश…

 कहते हैं रिश्ते बांधते हैं ना

तो उसके घर मे जंजीर मौजूद थी

जिस मेंज पर दवाई की शीशी थी

वही मां-पापा की तस्वीर मौजूद थी

पर उस वक्त उसका कोई अपना उसके पास नहीं था

दिल का हर एक दोस्त था तो सही पर

दिल के खास नहीं था

इस बार उसने जिंदगी का रास्ता मौत के जानिब समझा

इस बार उसने चले जाना ही मुनासिब समझा
जाते जाते जिंदगी से सीखता गया

वह अपने आखिरी खत में लिखता गया

की मेरी मन मर्जी है की मेरे दोस्तो को इसमें शामिल मत करना
वहां जाकर परेशान हो जाऊं इतना काबिल मत करना
और तुम तुम्हें जब ज़िंदगी बेसब्र मिली

तुम्हें उसके जाने की खबर मिली
तब एहसास हुआ कि वो सच कहता था
कितना सच्चा था और आज सफेद लिबास पहनकर दुनिया को ये बताने आये हो की वो कितना अच्छा था
अपने-आप को दोस्ती का खुदा रहनुमा फरिश्ता
सबसे जुदा कहने आये हो
जब तक वो था तब तक तो मिले आज आखिरी अलविदा कहने आये हो
खैर..
जब वक्त के पत्तों से लम्हो की धुल हटाओगे
जब उसके कब्र पर फूल चढ़ाने जाओगे
तो थोड़ी सी बेअदब सी अजब सी लेकिन नाराज आयेगी

उसकी आखिरी मिट्टी से वो एक आखिरी आवाज आयेगी
आवाज कहेगी की ऐसे कई मंजर के गवाह हम सभी खुद है

मुझ जैसे कई अच्छे लोग आज भी तुम्हारी महफ़िल में मौजूद है
तो अगली बार कोई दिख जाए तो उससे बाते करना मुलाकातें करना

उसका दिल रख लेना उसके घर जाकर उसको तोहफे देना
और उस दवाई के शीशी को खिड़की से बाहर फेंक देना
तब शायद वो जिंदगी जीने का हौसला कर सके
तब शायद वो खुश रहने का फैसला कर सके
तब शायद तुमसे नेकी का काम हो जाए
उसके दोस्तो की पहली लिस्ट में तुम्हारा नाम हो जाए
ये बाते हम सब जानते है सबको पता है

बस कहना लाजमी था ताकि तुम्हें किसी के घर जाकर सफेद लिबास पहनकर ये ना कहना पड़े

अच्छा आदमी था….

                                           –Rakesh Tiwari