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लेखक – वसीम बरेलवी
किताब – मेरा क्या
प्रकाशन – परम्परा प्रकाशन, नई दिल्ली
संस्करण – 2007
Difficult Words
जश्न-ए-तिश्ना-लबी = प्यासे ओंठो का सामरोह।
सम्त-ए-सफ़र = यात्रा की दिशा में।
Tumhein Ghamon Ka Samajhna Agar Na Aayega
Tumhein ghamon ka samajhna agar na aayega
To meri aankh mein aansu nazar na aayega
Ye zindagi ka musafir ye bewafa lamha
Chala gaya to kabhi laut kar na aayega
Banenge unche makanon mein baith kar naqshe
To apne hisse mein mitti ka ghar na aayega
Maana rahe hain bahut din se jashn-e-tishna-labi
Humein pata tha ye baadal idhar na aayega
Lagegi aag to samt-e-safar na dekhegi
Makaan shahar mein koi nazar na aayega
‘Waseem’ apne andheron ka khud ilaj karo
Koi charagh jalane idhar na aayega.
(In Hindi)
तुम्हें ग़मों का समझना अगर न आएगा
तो मेरी आँख में आँसू नज़र न आएगा
ये ज़िंदगी का मुसाफ़िर ये बेवफ़ा लम्हा
चला गया तो कभी लौट कर न आएगा
बनेंगे ऊँचे मकानों में बैठ कर नक़्शे
तो अपने हिस्से में मिट्टी का घर न आएगा
मना रहे हैं बहुत दिन से जश्न-ए-तिश्ना-लबी
हमें पता था ये बादल इधर न आएगा
लगेगी आग तो सम्त-ए-सफ़र न देखेगी
मकान शहर में कोई नज़र न आएगा
‘वसीम’ अपने अँधेरों का ख़ुद इलाज करो
कोई चराग़ जलाने इधर न आएगा।
– Waseem Barelvi