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लेखक – वसीम बरेलवी
किताब – मेरा क्या
प्रकाशन – परम्परा प्रकाशन, नई दिल्ली
संस्करण – 2007
Difficult Words
बज़्म-ए-ऐश = आनंद की सभा।
दौर-ए-जाम = शराब पीने का जमाना।
तसव्वुर = कल्पना, चिंतन, प्रतिबिंब।
एहतिराम = सम्मान।
ज़ीस्त = जीवन, जिंदगी।
राह-ए-वक़्त = तरीका, ढंग।
सुपुर्द = सौंपा हुआ।
हादसात-ए-ग़म = दुःख का आफ़त।
Yahi Bazm-E-Aish Hogi
Yahi bazm-e-aish hogi yahi daur-e-jam hoga
Magar aaj ka tasavvur yahan kal haraam hoga
Main kuch is tarah jiya hoon ki yaqin ho gaya hai
Mere baad zindagi ka bada ehtiraam hoga
Meri zist ek janaaza hai jo rah-e-waqt mein hai
Jo thakenge din ke kandhe to supurd-e-sham hoga
Yahi hadsaat-e-gham hain to ye dar hai jeene walo
Koi din mein zindagi ka koi aur naam hoga.
(In Hindi)
यही बज़्म-ए-ऐश होगी यही दौर-ए-जाम होगा
मगर आज का तसव्वुर यहाँ कल हराम होगा
मैं कुछ इस तरह जिया हूँ कि यक़ीन हो गया है
मिरे बाद ज़िंदगी का बड़ा एहतिराम होगा
मिरी ज़ीस्त इक जनाज़ा है जो राह-ए-वक़्त में है
जो थकेंगें दिन के काँधे तो सुपुर्द-ए-शाम होगा
यही हादसात-ए-ग़म हैं तो ये डर है जीने वालो
कोई दिन में ज़िंदगी का कोई और नाम होगा।
– Waseem Barelvi