Difficult Words
ख़राबे = खराब, बर्बाद, बेकार।
गिर्द = आस-पास, चारों ओर।
अक्स = प्रतिबिंब, छाया, साया।
रक़्स-ए-चराग़ाँ = दीयों का नृत्य।
गर्दिश-ए-तहय्युर = बदलें, आश्चर्य का दौर।
सुकूत = मौन, चुप्पी, खामोशी, सन्नाटा।
अफ़्लाक = आसमान, आकाश।
ज़ेर-ए-पा = पाँव के नीचे।
सहरा = रेगिस्तान, जंगल, बयाबान, वीराना।
हुजूम-ए-शोख़ = खुशमिजाज, शरारती, साफ-सुथरी, शांतचित्त की सभा।
बे-ग़रज़ = नि: स्वार्थ, बिना किसी रुचि के।
हरीफ़ाना = प्रति द्वंद्वियों-जैसा, शत्रुओं-जैसा।
राएगाँ = व्यर्थ, बेकार।
सफ़ेद-ओ-सियाह = सफेद और काला।
हर्फ़ = शब्द, दोष।
Diya Sa Dil Ke Kharaabe Mein
Diya sa dil ke kharaabe mein jal raha hai miyan
Diye ke gird koi aks chal raha hai miyan
Ye ruh raqs-e-charaghan hai apne halqe mein
Ye jism saaya hai aur saaya dhal raha miyan
Ye aankh parda hai ek gardish-e-tahayyur ka
Ye dil nahin hai bagula uchhal raha hai miyan
Kabhi kisi ka guzarna, kabhi thahar jaana
Mere sukut mein kya kya khalal raha hai miyan
Kabhi kisi ka guzarna kabhi thahar jaana
Mere sukoot mein kya kya khalal raha hai miyan
Kisi ki rah mein aflaak zer-e-pa hote
Yahan to paanv se sahra nikal raha hai miyan
Hujoom-e-shokh mein ye dil hi be-gharaz nikla
Chalo koi to hareefana chal raha hai miyan
Tujhe abhi se padi hai ki faisla ho jaye
Na jaane kab se yahan waqt tal raha hai miyan
Tabeeaton hi ke milne se tha maza baaqi
So wo maza bhi kahan aaj-kal raha hai miyan
Ghamon ki fasl mein jis gham ko raegan samjhen
Khushi to ye hai ki wo gham bhi phal raha hai miyan
Likha ‘naseer’ ne har rang mein safed-o-siyah
Magar jo harf lahu mein machal raha hai miyan
दीया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ
(In Hindi)
(In Hindi)
दीया सा दिल के ख़राबे में जल रहा है मियाँ
दीए के गिर्द कोई अक्स चल रहा है मियाँ
ये रूह रक़्स-ए-चराग़ाँ है अपने हल्क़े में
ये जिस्म साया है और साया ढल रहा मियाँ
ये आँख पर्दा है इक गर्दिश-ए-तहय्युर का
ये दिल नहीं है बगूला उछल रहा है मियाँ
कभी किसी का गुज़रना कभी ठहर जाना
मिरे सुकूत में क्या क्या ख़लल रहा है मियाँ
किसी की राह में अफ़्लाक ज़ेर-ए-पा होते
यहाँ तो पाँव से सहरा निकल रहा है मियाँ
हुजूम-ए-शोख़ में ये दिल ही बे-ग़रज़ निकला
चलो कोई तो हरीफ़ाना चल रहा है मियाँ
तुझे अभी से पड़ी है कि फ़ैसला हो जाए
न जाने कब से यहाँ वक़्त टल रहा है मियाँ
तबीअतों ही के मिलने से था मज़ा बाक़ी
सो वो मज़ा भी कहाँ आज-कल रहा है मियाँ
ग़मों की फ़स्ल में जिस ग़म को राएगाँ समझें
ख़ुशी तो ये है कि वो ग़म भी फल रहा है मियाँ
लिखा ‘नसीर’ ने हर रंग में सफ़ेद-ओ-सियाह
मगर जो हर्फ़ लहू में मचल रहा है मियाँ
– Naseer Turabi