Difficult Words
हमनवाई = एक राय, सहमती( An opinion, consent)
आलम = अवस्था, दशा(Condition)
मलाल = अफ़सोस(Regret)
शब-ए-फ़िराक़ = जुदाई की रात( Night of separation)
शिकस्ता-दिल = टूटा हुआ दिल( Broken heart)
शिकस्ता-पाई = पाँव टूट जाना, अपाहिज हो जाना(Leg break, bedridden)
अदावत = बैर, दुश्मनी(Hatred)
तग़ाफुल = बेरुखी, उपेक्षा(Rude)
रंजिश = मन मुटाव, अप्रसन्नता( Mind mutilation, unhappiness)
सदा = आवाज़(Voice)
यक-दिली = घनिष्ठता, एकता, मित्रता( Intimacy, unity, friendship)
मरहला = पड़ाव, ठिकाना, मंजिल( Halt, hideout, floor)
आश्नाई = जान-पहचान(Acquaintance)
राह-ए-सुख़न = कविता, शायरी, बातचीत की राह( Poetry, Shayari, Way of talking)
रसाई = पहुँच(Access)
Wo Humsafar Tha Magar
Wo humsafar tha magar us se humnawaai na thi
Ki dhoop chhanw ka aalam raha judaai na thi
Na apna ranj na auron ka dukh, na tera malaal
Shab-e-firaq kabhi humne yoon ganwaai na thi
Mohabbaton ka safar is tarah bhi guzra tha
Shikasta-dil the musafir shikasta-paai na thi
Adawatein thi, tagaful tha, ranjishein thi bahut
bichhadne wale mein sab kuch tha, bewafaai na thi
Bichhadte waqt un aankhon mein thi humari ghazal
Ghazal bhi wo jo kisi ko abhi sunaai na thi
Kise pukar raha tha wo dubta hua din
Sada to aayi thi lekin koi duhaai na thi
Kabhi ye haal ki donon mein yak-dili thi bahut
Kabhi ye marhala jaise ki aashnaai na thi
Ajeeb hoti hai raah-e-sukhan bhi dekh ‘Naseer’
Wahan bhi aa gaye aakhir, jahan rasaai na thi.
– Naseer Turabi
वो हमसफ़र था मगर
(In Hindi)
वो हमसफ़र था मगर उस से हमनवाई न थी
कि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी
न अपना रंज न औरों का दुख न तेरा मलाल
शब-ए-फ़िराक़ कभी हम ने यूँ गँवाई न थी
मोहब्बतों का सफ़र इस तरह भी गुज़रा था
शिकस्ता-दिल थे मुसाफ़िर शिकस्ता-पाई न थी
अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं बहुत
बिछड़ने वाले में सब कुछ था, बेवफ़ाई न थी
बिछड़ते वक़्त उन आँखों में थी हमारी ग़ज़ल
ग़ज़ल भी वो जो किसी को अभी सुनाई न थी
किसे पुकार रहा था वो डूबता हुआ दिन
सदा तो आई थी लेकिन कोई दुहाई न थी
कभी ये हाल कि दोनों में यक-दिली थी बहुत
कभी ये मरहला जैसे कि आश्नाई न थी
अजीब होती है राह-ए-सुख़न भी देख ‘नसीर’
वहाँ भी आ गए आख़िर, जहाँ रसाई न थी।
– नसीर तुराबी