Wo Khamoshi Meri Sun Na Paya | Apurva Agarwal | The Social House Poetry

About This Poetry :- This beautiful love poetry  'Wo Khamoshi Meri Sun Na Paya' for The Social House is presented by Apurva Agarwal and also written by her which is very beautiful a piece.

About This Poetry :- This beautiful love poetry  ‘Wo Khamoshi Meri Sun Na Paya’ for The Social House is presented by Apurva Agarwal and also written by her which is very beautiful a piece.


Wo Khamoshi Meri Sun Na Paya

एक आशना ढूंढने में चली थी शबाब के उस पहर में 
सामने से उनको आता देख धड़कने थम सी गई थी
पर शायद अपने जज्बातों को समझने में नाकाम हम दोनों ही हुए थे
नजरें झुका कर हाथ मिला कर अपनी राहों पर चल दिए थे
कुछ वक्त बाद बेवक्त मेरे फोन की घंटी बजी 
नाम पढ़ते ही नींद उड़ सी गई 
मानो धड़कने थम सी गई 
उस रात का सुबह में बदलना 
और हमारी बातों का यूं ही चलना 
एक नयी दास्तान-ए-मोहब्बत दिखती रही 
(कुछ वक्त और बीत गया) 
कुछ वक्त बीतने के बाद हम उन्हें यूं समझने लगे
उनके बिना बोले उनकी आंखें पड़ने लगे 
मोहब्बत शायद उफान पे थी 
पर दोस्ती खत्म होने का डर दिल से गया नहीं 
मैं भी चुप रही और उन्होंने भी ज्यादा कुछ कहा नहीं
उस दिन धीरे से उनका मुझे अपनी बाहों में भर लेना 
उनकी मोहब्बत का इजहार कर रहा था 
और मेरा धीरे से उनकी बाहों में समा जाना
मेरा इश्क बयां कर रहा था 
और उस छोटे से लम्हे में धड़कने मेरी थम सी गई थी 
उस दिन फाइनली उनके होठों ने उनकी मोहब्बत बयां कर ही दी 
बिन बोले कुछ वादे कुछ कसमें हमने भरी ही दी
मैंने भी उनसे हजार दफा पूछ लिया था 
क्या मुझसे सच में मोहब्बत है तुम्हें 
इश्क़ इबादत है, जरूरत है, आदत है
क्या मेरी इबादत, जरूरत, आदत है तुम्हें? 
तो उन्होंने सर झुका कर मेरे हाथों को चूम लिया
और उनकी निगाहों ने मुझसे सब कुछ कह दिया और उस लम्हे में धड़कने मेरी थम सी गई 
अभी अभी तो सब कितना खूबसूरत था 
अभी तो अपनी मोहब्बत का पहला पन्ना ही लिखा था मैंने 
कि न जाने कैसे स्याही मेरी फैल गई 
और सच में धड़कने मेरी थम गई 
मेरा दिल घबराने लगा, हजारों कहानियां बनाने लगा 
सच्चाई मेरे आंखों के सामने थी 
पर मानना मैं चाह नहीं रही थी 
तभी सामने से उसे किसी और का हाथ थामें आता देख
मेरे चेहरे की रंगत बदलने लगी 
उसकी बेवफाई की वजह जानने की जुस्तजू मेरी बढ़ने लगी 
धड़कने मेरी थम सी गई, आंखें मेरी भर सी गई
अपनी बेपनाह मोहब्बत की यूं रुसवाई मैं सह न पाई 
पर खामोशी के सिवा उससे कुछ कह ना पाई
चलो ठीक है.. चलो ठीक है माना अधूरा होकर भी इश्क मुकम्मल है मेरा 
बेवफाई उसने की थी मैंने तो बस से अपनी धड़कनों में बसाया था
                                   – Apurva Agarwal