Uske Ghar Gulab Phenk Aaya Poem | Kanha Kamboj Shayari | The Realistic Dice
Uske Ghar Gulab Phenk Aaya कि अब बस तुझे भूलने के लिए याद करता हूंकुछ हद तक अपनी आदतों से सुधर रहा हूं मैं जानता हूं तूने बदल लिया है शहर अपना फिर भी तेरी गली से गुजर रहा हूं मैंतू खिड़की पे नहीं फिर भी गुलाब फेंक आयाये किस बेशर्मी पे उतर रहा हूं मैं एक … Read more