Bachpan Poetry :- On the occasion of this Children’s Day a very young, Famous and YouTube poetess Nidhi Narwal come back again with a beautiful poerty which is titled ‘Bachpan’. Nidhi Narwal has performed and written this beautiful poetry. This beautiful poetry ‘Bachpan has released under the label of FNG Media.
Bachpan Poetry Nidhi Narwal
अब कहा दिल बेवजह ही मुस्कुराता दिखता है
अब कहा कोई चुटकुले से गुदगुदाता दिखता है
अब नहीं मिलते है यारो यार भी जिगरी मुझे
अब कहा यू हीं कोई मुझे बुलाता दिखता है
अब नहीं महल वो जो रेत में बनाए थे
अब नहीं पतंग है जो शौक से उड़ाए थे
अब नहीं जहाज है वो और न वो नाव है
कागजों से खेलने को जो कभी बनाएं थे
हसरतें है झूम लूं शीशे में खुद को चूम लूं
बरसात में छतरी बिना गली गली मै घूम लूं
बादलों से झांक कर मैं आसमां ये छांट लूं
हंसी खुशी ये यार से हंसी खुशी मैं बांट लूं
भीड़ ही में रो पड़ूं
भीड़ ही में गिर पड़ूं
आजाद इतना मन नहीं,
बे सबब ही नांच लूं
अब बचे वो दिन नहीं
अब कभी भी चोटियों में रिबने डलती नहीं
अब कभी मैदान में ही शाम में ढलती नहीं
अब कहां हैं रौशनी आँखों में किसी ख़्वाब की
अब कभी वो बावरी सी आग ही जलती नहीं
जुस्तजु है प्यार हो
स्कूल की दीवार हो
मैं खड़ी हूं इस तरफ
वो छुपा उस पार हो
नादानियां हो बेधड़क वो तितलियां हजार हो
एक झलक मिले महज उसी का इन्तजार हो
पर चाहतों में गर्द है जिन्दगी भी सर्द है
वो दिन थे दिल में प्यार था
अब दिलों में दर्द है
बचपन बड़ा ही पाक था
कुछ पल को ही वो साथ था
कुछ रात लोरी वो सुनाकर
ख्वाब परियों के दिखाकर
गुदगुदा के दो घड़ी,
मुझे सुला के दो घड़ी
सौंप के गया मुझे यूं वक्त के वो हाथ में
छोड़ के गया मुझे बेचैनियों के साथ में
काली अंधेरी रात में
बिन कहे ही चल दिया
हुई सुबह नहीं मिला वो…!
Written By:
Nidhi Narwal