शब्दार्थ:
कलंदर – मुसलमान साधुओं का समुदाय।
लक़ब – उपाधि, पदवी।
अज़मत – बड़ाई, गौरव।
अदब – सम्मान।
मतब – वह स्थान जहाँ चिकित्सक रोगियों के रोग का निदान करता है।
Kaam Sab Gair Zaroori Hain….
काम सब गैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं
और हम कुछ नहीं करते हैं, ग़ज़ब करते हैं
हम पे हाकिम का कोई हुक्म नहीं चलता है
हम कलंदर हैं, शहंशाह लक़ब करते हैं
आप की नज़रों में सूरज की है जितनी अजमत
हम चिरागों का भी उतना ही अदब करते हैं
देखिये जिसको उसे धुन है मसीहाई की
आजकल शहरों के बीमार मतब करते हैं
– राहत इंदौरी
Kaam sab gair zaroori hain jo sab karte hain
Aur ham kuch nahin karte hain ghazab karte hain
Ham pe hakim ka koi hukam nahin chalta hai
Ham qalandar hain, shahanshaah laqab karte hain
Aap ki nazron mein suraj ki hai jitni azmat
Ham chiraagon ka bhi utna hi adab karte hain
Dekhiye jisko use dhun hain masihaai ki
Aajkal shahron ke bimar matab karte hain
– Rahat Indori