Khol Doon Yah Aaj Ka Din – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

खोल दूं यह आज का दिन | केदारनाथ सिंह खोल दूं यह आज का दिन खोल दूं यह आज का दिन जिसे- मेरी देहरी के पास कोई रख गया है, एक हल्दी-रंगे ताजे दूर देशी पत्र-सा। थरथराती रोशनी में, हर संदेशे की तरह यह एक भटका संदेश भी अनपढा ही रह न जाए- सोचता हूँ … Read more

Ant Mahaz Ek Muhawra Hai – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

अंत महज एक मुहावरा है | केदारनाथ सिंह अंत महज एक मुहावरा है अंत में मित्रों, इतना ही कहूंगा कि अंत महज एक मुहावरा है जिसे शब्द हमेशा  अपने विस्फोट से उड़ा देते हैं और बचा रहता है हर बार वही एक कच्चा-सा आदिम मिट्टी जैसा ताजा आरंभ जहां से हर चीज फिर से शुरू … Read more

Dupahariya – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

दुपहरिया | केदारनाथ सिंह शब्द अर्थ धूसर धूल के रंग का, खाकी। सुधि होश,चेतना,स्मरण,याद,ज्ञान। उन्मन उदास। चौबाई चारों ओर से बहनेवाली हवा। रुखाई रूखापन, रुखावट, कठोरता। दुपहरिया झरने लगे नीम के पत्ते बढ़ने लगी उदासी मन की, उड़ने लगी बुझे खेतों से झुर-झुर सरसों की रंगीनी, धूसर धूप हुई मन पर ज्यों- सुधियों की चादर … Read more

Chhoti Sehar Ki Ek Dopahar – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

छोटे शहर की एक दोपहर | केदारनाथ सिंह छोटे शहर की एक दोपहर’ कविता केदारनाथ जी द्वारा लिखी गई है। यह एक हिन्दी कविता है जिसमें छोटे शहर में जब चिलचिलाती धूप का सामना उस शहर के पशु-पक्षी और वहां के लोग करते हैं तो वहां किस तरह का माहौल होता है इस कविता में … Read more

अकाल में सारस – केदारनाथ सिंह | हिन्दी कविता

अकाल में सारस `| केदारनाथ सिंह ‘ अकाल में सारस ‘ केदारनाथ सिंह जी की कविताओं का काव्य-संग्रह है । इसकी कविताएँ सन् 1983 से 87 के बीच लिखी गयी हैं । केदारनाथ सिंह जी की कविताओं में एक अलग ही आकर्षण होता है, आसपास की साधारण सी लगने वाली चीजें उनकी कविता के विषय … Read more

Banaras' – Hindi Kavita By Kedarnath Singh

बनारस | केदारनाथ सिंह | हिन्दी कविता ‘बनारस‘ केदारनाथ सिंह जी द्वारा लिखी गई चर्चित कविताओं में से एक है। ‘यहां से देखो‘ एक काव्य-संग्रह केदारनाथ जी द्वारा लिखी गई है जिसमें सम्मिलित कविताओं में से यह एक कविता ‘बनारस‘ भी है। Banaras इस शहर में वसंत अचानक आता है और जब आता है तो … Read more

Shaharbadal – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

शहरबदल | केदारनाथ सिंह  शहरबदल वह एक छोटा-सा शहर था जिसे शायद आप नहीं जानते पर मैं ही कहाँ जानता था वहाँ जाने से पहले कि दुनिया के नक्शे में कहाँ है वह ! लेकिन दुनिया शायद उन्हीं छोटे-छोटे शहरों के ताप से चलती है जिन्हें हम-आप नहीं जानते। जाने को तो मैं जा सकता था … Read more

Sabse Khatarnak Hota Hai – Avtar Singh Sandhu “Pash” | Hindi Kavita

सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना | अवतार सिंह संधू ‘पाश’ सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती बैठे-बिठाए पकड़े जाना – बुरा तो है सहमी-सी चुप … Read more

कितना अच्छा होता है – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना । हिन्दी कविता

कितना अच्छा होता है । सर्वेश्वरदयाल सक्सेना कितना अच्छा होता है  एक-दूसरे को बिना जाने  पास-पास होना  और उस संगीत को सुनना  जो धमनियों में बजता है,  उन रंगों में नहा जाना  जो बहुत गहरे चढ़ते-उतरते हैं।  शब्दों की खोज शुरू होते ही  हम एक-दूसरे को खोने लगते हैं  और उनके पक़ड़ में आते ही  … Read more

टूटी हुई, बिखरी हुई – शमशेर बहादुर सिंह | हिन्दी कविता

टूटी हुई, बिखरी हुई | शमशेर बहादुर सिंह ‘टूटी हुई, बिखरी हुई’ कविता टूटी हुई बिखरी हुई चाय की दली हुई पाँव के नीचे पत्तियाँ मेरी कविता बाल, झड़े हुए, मैल से रूखे, गिरे हुए,  गर्दन से फिर भी चिपके  … कुछ ऐसी मेरी खाल, मुझसे अलग-सी, मिट्टी में मिली-सी दोपहर बाद की धूप-छाँह में … Read more