Shahar Me Raat – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

शहर में रात | केदारनाथ सिंह  1982 में लिखी केदारनाथ की कविता ‘शहर में रात’ कविता-संग्रह ‘यहां से देखो’ से ली गई है। इस कविता में संघर्ष और कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं का जिक्र है। कविता में केदार जी ने बखूबी चित्रण करते हुए कहा है कि पुरा शहर बदल ही क्यों ना जाए … Read more

Lokkatha – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

लोककथा | केदारनाथ सिंह  इस कविता में उस लोक कथा का जिक्र है जो सदियों से लोक में प्रचलित है , लेकिन केदार जी की यह एक खास विशेषता है कि वे लोककथा कविता में लोक की विडंबनाओं को उद्घाटित करने से नहीं चुकते । इस तरह लोक और लोक संस्कृति का उद्घाटन करना कवि का … Read more

Raqt Me Khila Hua Kamal – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

रक्त में खिला हुआ कमल | केदारनाथ सिंह ‘अकाल में सारस’ केदारनाथ जी की प्रसिद्ध कविता-संग्रहो में से एक है जिसमें यह कविता ‘रक्त में खिला हुआ कमल‘ भी सम्मिलित हैं। रक्त में खिला हुआ कमल मेरी हड्डियाँ मेरी देह में छिपी बिजलियाँ हैं मेरी देह मेरे रक्त में खिला हुआ कमल क्या आप विश्वास करेंगे … Read more

Yah Agnikiriti Mastak – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

यह अग्निकिरीटी मस्तक | केदारनाथ सिंह  ‘यहां से देखो‘ नामक कविता-संग्रह में‌‌ यह कविता ‘यह अग्निकिरीटी मस्तक‘ भी सम्मिलित हैं।इस कविता में एक चुप्पी या सन्नाटा केदार जी को बेचैन करता है की आखिर लोग मौन क्यों हैं? जिन्हें बोलना आता है जो बोल सकते हैं, लोकतंत्र के लिए बोलना जरूरी हैं अपने अधिकारों के लिए बोलना … Read more

Joote – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

जूते | केदारनाथ सिंह  ‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ‘ नामक कविता-संग्रह में‌‌ संकलित यह हिन्दी कविता ‘जूते‘ केदारनाथ सिंह जी द्वारा लिखी गई है। इस कविता में एक ऐसे जूते‌ की चर्चा है जिसमें धूल लगी हुई है और साथ ही आगे से फटे हुए हैं वह वक्ता बेहद निर्धन होगा जो सभा में आया हुआ … Read more

Aana – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

आना | केदारनाथ सिंह  ‘आना‘ कविता ‘अकाल में सारस’ नामक कविता-संग्रह में‌‌ संकलित हैं। आना आना जब समय मिले जब समय न मिले तब भी आना आना जैसे हाथों में आता है जाँगर जैसे धमनियों में आता है रक्त जैसे चूल्हों में धीरे-धीरे आती है आँच आना आना जैसे बारिश के बाद बबूल में आ जाते … Read more

Kali Miitti – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

काली मिट्टी | केदारनाथ सिंह  गांव के लोग मिट्टी के घरो में और मिट्टी का उपयोग ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में होता है और केदार जी जिस मिट्टी का जिक्र इस कविता में कर रहे वो मिट्टी काले रंग की है जिसके कारण वहां सब काला दिखाई देता है चाहे वो भ्रष्टाचार या काला धन सब काले … Read more

Kuch Sootr Jo Ek Kisaan Baap Ne Bete Ko Diye – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

कुछ सूत्र जो एक किसान बाप ने बेटे को दिए | केदारनाथ सिंह ‘कुछ सूत्र जो एक किसान बाप ने बेटे को दिए‘ कविता में एक किसान अपने बेटे को कई सूत्र देता जैसे कि लाल चींटियों के दिखने पर वर्षा और आंधियों का आगमन, अंधेरे में रास्ता भुलने पर कुत्तों के भौंकने का भरोसा करना … Read more

Akaal Mein Doob – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

अकाल में दूब | केदारनाथ सिंह  ‘अकाल में दूब’ कविता में भयानक सुखे पर केंद्रित है सुखा पड़ने की गवाही दुब दे रहा है जो सुखे की वजह से उसका अस्तित्व संकट में है ‌और स्थितियां भी यही संकेत दे रही होती है और मंत्रणा करती हैं और अकाल में यदि दूब बची है तो जीवन … Read more

O Meri Udaas Prithvi – Kedarnath Singh | Hindi Kavita

ओ मेरी उदास पृथ्वी | केदारनाथ सिंह  ‘अकाल में सारस‘ नामक कविता-संग्रह में‌‌ संकलित यह कविता ‘ओ मेरी उदास पृथ्वी‘ भी  है। ओ मेरी उदास पृथ्वी घोड़े को चाहिए जई फुलसुँघनी को फूल टिटिहिरी को चमकता हुआ पानी बिच्छू को विष और मुझे ? गाय को चाहिए बछड़ा बछड़े को दूध दूध को कटोरा कटोरे को … Read more